नई दिल्लीः अमेरिका के दिग्गज अर्थशास्त्री रिचर्ड एच थेलर को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है. रिचर्ड को ‘बिहेवियोरल इकनॉमिक्स’ में योगदान के लिए इस सम्मान से नवाजा गया है. रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंसेज ने सोमवार को अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर को नोबेल पुरस्कार का सम्मान दिए जाने की घोषणा की. रिचर्ड ने इंसानी मनोविज्ञान और सोच को अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए काफी बेहतरीन रिसर्च की हैं. उनकी किताब ‘मिसबिहेविंग’ में इन सब स्टडीज का ब्योरा दर्ज है. अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर का जन्म 12 सितंबर, 1945 को न्यू जर्सी में हुआ था. वह शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और अर्थशास्त्र विषय पर कई किताबें भी लिख चुके हैं.
अवॉर्ड के रूप में रिचर्ड थेलर को 9 मिलियन स्वीडिश क्रोना (करीब 7.25 करोड़ रुपये) दिए जाएंगे. इस राशि को खर्च करने के बारे में थेलर ने कहा, ‘मैंने इसके बारे में कुछ नहीं सोचा है लेकिन जितना संभव होगा, ऐसे ही खर्च कर दूंगा.’ इस साल के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की दौड़ में भारत की ओर से रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल थे. पिछले साल इकोनॉमिक्स का नोबेल ओलिवर हार्ट और बेंट होल्स्ट्रॉम को कॉन्ट्रैक्ट थ्योरी के लिए दिया गया था. साल 1998 में भारत के अमर्त्य सेन को वेलफेयर इकोनॉमिक्स के लिए इकोनॉमिक्स का नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
ब्रिटेन के लेखक काजुओ इगुरो को साल 2017 का लिटरेचर का नोबेल प्राइज दिया गया है. बायोकेमिस्ट्री में क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी डेवलप करने के लिए स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिक जैक डुबोशे, जर्मनी के जोआकिम फ्रैंक और स्कॉटलैंड के रिचर्ड हैंडरसन को दिया जाएगा. फिजिक्स के लिए 2017 का नोबेल प्राइज ग्रेविटेशनल वेव्स से जुड़े काम के लिए जर्मनी और अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों रायनर वीस, बैरी सी बैरिश और किप एस. थॉर्न को दिया जाएगा. वहीं शांति के क्षेत्र में 2017 का नोबेल पुरस्कार परमाणु हथियारों के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था ICAN को मिला है.
कौन थे नोबेल?
अल्फ्रेड नोबेल एक स्वीडिश साइंटिस्ट थे. वह फ्रांस में रहते थे. नोबेल की सबसे प्रमुख खोज डाइनामाइट थी. इसकी वजह से वह पूरे विश्व में एक अलग पहचान स्थापित कर चुके थे. एक बार वहां के लोकल अखबार में नोबेल की मौत की गलत खबर छपी. जिनकी मौत हुई वह नोबेल के भाई थे. इस खबर में नोबेल को मौत का सौदागर बताया गया था. खबर से दुखी होकर नोबेल ने अपनी पूरी प्रॉपर्टी को दान करने का फैसला कर लिया था.