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Nobel Prize 2017: अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों को मिला भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

स्टॉकहोम. भौतिकी विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों रैनर वीस, बैरी सी बेरिश और किप्स एस थोर्न को संयुक्त रुप से भौतिकी विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. मंगलवार को नोबेल पुरस्कार कमेटी ने ये घोषणा की कि गुरुत्वीय तरंगों की खोज करने के लिए इन तीनों को यह पुरस्कार दिया जाएगा.
तीनों वैज्ञानिकों ने लेजर इंर्टफेरोमीटर ग्रैविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (लिगो) डिटेक्‍टर और गुरुत्‍वाकर्षण तरंगों के अध्‍ययन के लिए संयुक्त रूप से यह सम्‍मान दिया जाएगा. घोषणा के वक्त नोबेल कमेटी ने बताया कि इस साल यह पुरस्कार उस खोज के लिए दिया गया है, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया.
राइनर वाइस मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं जबकि बैरी बैरिश और किप थोर्ने कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं. सितंबर में गुरुत्वीय तरंगों की खोज में इन तीनों वैज्ञानिकों की अहम भूमिका थी. कई महीनों के बाद जब इस खोज का एलान किया गया था तब ना सिर्फ भौतिक विज्ञानियों में बल्कि आम लोगों में भी सनसनी फैल गयी थी.

इन तीनों अमेरिकी वैज्ञानिकों ने गुरुत्वीय तरंगों के अस्तित्व का पता लगाया और अल्बर्ट आइंस्टाइन के सदियों पुराने सिद्धांत को सच साबित किया. ये तीनों वैज्ञानिक लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जर्वेशन यानी लीगो रिसर्च प्रोजेक्ट से जुड़े थे जिसने आंस्टाइन के ग्रैविटेशनल रिलेटिविटी के सिद्धांत को सच साबित करने में सफलता पाई. अब बुधवार को रसायन, गुरुवार को साहित्य और शुक्रवार को शांति के नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की जाएगी.
नोबेल फाउंडेशन की ओर से स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में यह पुरस्कार दिया जाता है. साल 1901 से यह पुरस्कार देना शुरू किया गया था. नोबेल पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाने वाला विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है. इस पुरस्कार के रूप में विजेताओं को प्रशस्ति-पत्र के साथ 14 लाख डालर की राशि प्रदान की जाती है.
साल 1901 से अभी तक चिकित्सा के क्षेत्र में कुल 214 लोगों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें से केवल 12 महिलाएं हैं, जिनमें से केवल एक महिला बार्बरा मेकक्लिंटन ने यह पुरस्कार किसी के साथ शेयर नहीं किया. इन्हें साल 1983 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. अभी तक फिलहाल किसी भी भारतीय को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार नहीं मिला है.
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