नई दिल्ली: रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर आपने कई खबरें पढ़ी और सुनी होंगी लेकिन आज हम आपको जो खबर बताने जा रहे हैं वो रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप की दूसरी तस्वीर पेश करता है.
डेली मेल की खबर के मुताबिक कैंपों में रह रहे हिंदू रिफ्यूजियों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. बांग्लादेश रिलीफ कैंप में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदू रोहिंग्याओं को मौके का फायदा उठाकर टार्गेट किया जा रहा है.
म्यांमार से निकलने के बाद बड़ीं संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी बने हुए हैं लेकिन इनमें हिंदू रोहिंग्याओं की संख्या बहुत कम है जिसकी वजह से मुस्लिम रोहिंग्याओं के निशाने पर आ गए हैं.
खूबसूरत महिलाओं का कराया जा रहा है धर्म परिवर्तन
कई हिंदू रिफ्यूजी महिलाओं को जबरन पांच बार नमाज पढ़ाया जा रहा है. इन्हीं पीड़ितों में से एक हैं पूजा मुलिक जो पिछले तीन हफ्तों से खौफ और दहशत में जी रही हैं. पूजा अब खुद को राबिया कहती हैं.
पिछले ही महीने उनका धर्म परिवर्तन कराया गया है. पूजा ने जब म्यांमार छोड़ा तब वो हिंदू थीं लेकिन हालात ऐसे बन गए कि जान बचाने के लिए उन्हें अपना धर्म परिवर्तित करना पड़ा. अगस्त के आखिरी हफ्ते में म्यांमार में हुई हिंसा में पूजा के पति की मौत हो गई. पूजा के मुताबिक सेना ने उनके पति को नहीं मारा बल्कि कुछ नकाबपोश लोगों ने उनकी हत्या की.
सिंदूर पोंछ दिया, चूड़ियां तोड़ दी- कहा मुसलमान बनने के अलावो कोई विकल्प नहीं है : थियोमेन
थियोमेन बताती हैं कि उनके पति समेत पूरे परिवार को उनकी आंखों के सामने गोली मार दी गई और उन्हें गुलाम बना लिया गया. थियोमेन के मुताबिक ‘ हमें जंगल ले जाया गया जहां उन्हें कहा गया कि नमाज पढ़ो तो हम तुम्हें जाने देंगे. मेरे माथे से सिंदूर पोंछ दिया गया और जो शंखा-पोला (चूड़ियां) मैने पहन रखी थी, उन्हें तोड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि हम तुम्हें तभी जिंदा रहने देंगे जब तुम अपना धर्म बदलोगी. मुझे बुर्का पहनने पर मजबूर किया गया और करीब तीन हफ्तों तक मुस्लिम रीति रिवाज सिखाए गए.
थियोमेन आगे बताती हैं कि ‘ मुझसे नमाज पढ़वाया जाता, मुझसे कहा जाता कि अल्लाह का नाम लो लेकिन मेरे दिल से भगवान का नाम निकलता. मेरा परिवार मेरी तलाश में था और तब उन्हें पता चला कि मैं मुस्लिम कैंप में हूं.’
थियोमेन के पास पहनने के लिए सिर्फ एक साड़ी है और उनके तीन साल के बच्चे के लिए कोई कपड़ा नहीं है. बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले के कोटूपालॉंग में ऐसी कई थियोमेन की कहानियां हैं जहां पूजा राबिया और रिसा-सादिया बन गई.
लाइन में लगाकर की गई हिंदुओं की हत्या: रिसा
28 साल की रिसा धर अपनी साड़ी को ठीक करते और अपने एक साल के बच्चे को दूध पिलाते हुए बताती हैं कि कैसे उनके उपर कहर बरपाया गया. रिसा बताती हैं कि ‘ 25 अगस्त दिन शुक्रवार को कई आक्रमणकारियों ने हिंदू बस्तियों पर हमला कर दिया. सबसे पहले लोगों के फोन छीने गए और फिर उन्हें बांधकर बुरी तरह पीटा गया.
रिसा के मुताबिक- ‘ आक्रमणकारियों ने मेरे सारे गहने छीन लिए और मुझे बुरी तरह पीटा, सभी हिंदुओं को अलग खड़ा कर दिया गया और फिर उन्हें पास के पहाड़ पर ले जाया गया जहां लाइन में खड़ा कर उनकी हत्या कर दी गई. इनमें से सिर्फ आठ महिलाओं को जिंदा छोड़ा गया क्योंकि वो देखने में खूबसूरत और जवान थीं.’
आक्रमणकारियों ने इन महिलाओं से कहा कि उनके पास उनसे शादी करने के अलावा कोई विकल्प मौजूद नहीं है. वो उन महिलाओं को जबरन अपने साथ ले गए. बाद में जब इन महिलाओं के हिंदू रिश्तेदारों को इस मामले का पता चला तो वो इन्हें उन मुसलमानों के चंगुल से छुड़ाकर लाए.
राबिया उर्फ पूजा के मुताबिक हिंदू कैंप में लौटकर वो राहत महसूस कर रही हैं.