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केन्या के राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट ने हटाया, 17 अक्टूबर को दोबारा चुनाव

नैरोबी. केन्या में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति उहुर केन्यात्ता का तख्तापलट कर दिया है. केन्या की सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्त को हुए राष्ट्रपति चुनाव के फैसले को बुधवार को अमान्य ठहरा दिया और 17 अक्टूबर को दोबारा चुनाव कराने का निर्देश दिया है.
बहुमत के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डेविड मारगा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति उहुर केन्यात्ता के चुनाव को रद्द कर दिया है क्योंकि नेशनल रिटर्निंग अधिकारी वाफुला चेबुक्ती ने राष्ट्रपति पद के लिए विजेता घोषित करने से पहले परिणामों का सत्यापन नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अमान्य घोषित किये गये राष्ट्रपति उहुर केन्यात्ता ने कहा कि ये लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार का न्यायिक तख्तापलट है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टीस डेविड मारगा ने कहा कि संवैधानिक संशोधन को चुनाव में नजरअंदाज किया गया.
उहुर ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चार जजों के द्वारा तख्तापटल बताया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला महज कुछ लोगों की आवाज है, जिन्होंने ये निर्णय लिया है कि वे केन्या के बहुमत के लिए एक नेता चुन सकते हैं. यह तानाशाही नहीं तो और क्या है.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर जज सच में न्याय करना चाहते थे कि उन्हें मतपत्रों की दोबारा से काउंटिंग करानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि यह फैसला दिखाता है कि लोगों की आवाज की यहां कोई अहमियत नहीं.
बता दें कि अगस्त 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में उहुरु केन्यात्ता विजयी घोषित हुए थे. इस चुनाव में उहुरू 54 फीसदी वोट के साथ चुनाव जीते थे वहीं, मुख्य विपक्षी रैला ओडिंगा को 45 फीसदी वोट मिले थे.
वहीं, अगस्त में हुए चुनाव में हारने वाले उम्मीदवार रैला ओडिंगा ने कहा कि वे 17 अक्टूबर के चुनाव में तभी भाग लेंगे, जब चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक सारी गड़बड़ी दूर करके चुनाव कराएगी.
साथ ही विपक्षी पार्टी के नेता ओडिंगा ने भी दावा किया कि आईईबीसी अधिकारियों की ओर से कई चुनावी अपराध किये गये. मगर आरोपों की जांच में कोर्ट में एक भी सबूत नहीं पेश किये गये. उन्होंने कहा कि कोर्ट उन पर किसी तरह के आपराधिक दोष सिद्ध करने के लिए असमर्थ थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव कोई इवेंट नहीं है, बल्कि यह एक प्रकिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि (आईईबीसी) और उनके अध्य्क्ष कोर्ट में किसी तरह का संतोषजनक जवाब देने में नाकामयाब रहे हैं.
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