नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच डोकलाम को चल रहे विवाद के बीच भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक चीन और भारत दोनों डोकलाम से अपनी-अपनी सेना को वापस बुलाएगा. गौरतलब है कि पिछले करीब दो महीने से डोकलाम में जारी विवाद के बीच चीन ने कई बार भारत को युद्ध की धमकी दी लेकिन भारत चीन के दवाब में नहीं आया. आखिरकार चीन को भारत के सामने झुकना पड़ा और चीन अपनी सेना को वापस बुलाने पर मजबूर हो गया.
इस बीच बिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी चीन के दौरे पर जाएंगे. इस दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत की भी उम्मीद है. विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज में कहा गया है कि दोनों देशों की सेनाएं धीरे-धीरे डोकलाम से पीछे हटेंगी.
क्या है डोकलाम विवाद?
भौगोलिक रूप से डोकलाम भारत चीन और भूटान बार्डर का हिस्सा है जो भारत के नाथुला पास से सिर्फ 15 किमी की दूरी पर है. डोकलाम सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. सिक्किम, चीन और भुटान के तिराहे पर स्थित डोकलाम पर चीन हाइवे बनाने की कोशिश कर रहा था, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया जिसके बाद चीन भी अड़ गया. डोकलाम में चीन की सड़क का भारत ने इसलिए विरोध किया क्योंकि अगर डोकलाम तक चीन की सुगम आवाजाही हो गई तो फिर वह भारत को पूर्वोत्तहर राज्यों से जोड़ने वाली चिकन नेक तक अपनी पहुंच और आसान कर सकता है.
इस स्थिति से निपटने के लिए भारत ने भी वहां सड़क बनानी शुरू कर दी. डोकलाम में दोनों ओर की सेना ने एक दूसरे को हटाने की पूरी कोशिश की. कर्ई बार तो युद्ध की स्थिति बन गई लेकिन ना तो भारत पीछे हटा और ना ही चीन. हालांकि डोकलाम पर भारत के अडियल रवैये को देखते हुए पहले तो चीन ने बातचीत बंद कर दी लेकिन बाद में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर बातचीत होती रही और अंत में भारत ने चीन को डोकलाम पर बड़ी कूटनीतिक शिकस्त देते हुए उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.