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1300 KM घंटे स्पीड वाली हाइपरलूप को टनल में उतारने के प्लान को ट्रंप की हरी झंडी

नई दिल्ली: अब हाइपरलूप ट्रेन से घंटो का सफर मिनटों में पूरा होने का सपना साकार होने वाला है. अब लोग हाइपरपूल ट्रेन में 1300 किमी प्रति घंटे की स्पीड से यात्रा कर सकेंगे. इसकी शुरूआत सबसे पहले अमेरिका से होगी. अमेरिकी कंपनी को ट्रंप सरकार से हाइपरलूप प्रोजेक्ट की मौखिक अनुमति मिल गई है.
अमेरिकी इंजीनियर एलोन मस्क ने अपनी हाइपरलूप के अल्फा वर्जन योजना के बारे में खुलासा किया है और इनकी कंपनी को इसकी इजाजत मिल गई है. समझने के लिए बता दें कि ये एक ऐसी ट्रांसपोर्टेशन प्रणाली है, जिसकी सहायता से यात्री करीब 50 मिनट में दिल्ली से मुंबई की यात्रा कर सकेंगे.
मस्क की कंपनी दुनिया में तेज़ रफ़्तार ट्यूब सिस्टम विकसित करने की कोशिश में है, जिसके ज़रिए सामान और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह बेहद तेज़ी के साथ पहुंचाना मुमकिन हो पाएगा.
एलोन मस्क ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी कि उनकी बोरिंग कंपनी टनल प्रोजेक्ट की मौखिक अनुमति ट्रंप सरकार से हासिल कर ली है. इस योजना के अंतर्गत अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से लेकर वॉशिंगटन शहर तक को जोड़ा जाएगा. हालांकि, अभी इसका औपचारिक ऐलान होना बाकी है.

एलोन मस्क तकनीक की दुनिया का एक बड़ा नाम है. मस्क अमेरिका के आविष्काक,उद्योगपति और स्पेस एक्स कंपनी, टेस्ला (टीएसएलए) और बोरिंग कंपनी के सीईओ हैं. ये न सिर्फ हाइपरलूप ट्रेन और टनल बना रहे हैं, बल्कि स्पेस एक्स रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में पर्यटन को भी हकीकत बनाने की कोशिश कर रहे हैं. स्पेस एक्स के जरिये अब आम इंसान भी अंतरिक्ष में भेजे जा सकेंगे.
इस वैक्यूम तकनीक के जरिये आप एक व्हीकल में बैठकर मिनटों में घंटो की यात्रा कर सकते हैं. बता दें कि हाइपरलूप ट्रेन चुंबकीय शक्ति पर आधारित तकनीक है. जिसमें खंभों के ऊपर (एलीवेटेड) पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाती है. इसके भीतर बुलेट जैसी शक्ल की लंबी सिंगल बोगी अथवा पोड में हवा में तैरते हुए चलती है.
यानी कि हाइपरलूप सुरंग में दौड़ने वाला एक ऐसा ट्रेन है. जो इलेक्ट्रो मैगनेटिक फील्ड पर हवा में तैरता हुआ चलती है. इस तकनीक के आने से पूरी दुनिया में ट्रांसपोर्टेशन की तस्वीर ही बदल जाएगी. इस तकनीक से कोई ऑब्जेक्ट अथवा इंसान मिनटों में हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर लेगा.
इस हाइपरलूप ट्रेन की खास बात ये है कि इसे जमीन पर जमीन के नीचे और जमीन से ऊपर कहीं भी दौड़ाई जा सकती है. ये ट्रेन पटरियों पर नहीं दौड़ेगी, बल्कि हवा में तैरती हुई चलेगी. इसमें पहिये भी नहीं होंगे. बताया जा रहा है कि ये हवाई यात्रा को टक्कर देगी और यात्रा पूरी तरह से आसान हो जाएगा.

 

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