इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने साफ कर दिया कि वो किसी भी दबाव में आकर इस्तीफा नहीं देंगे. पनामागेट मामले में JIT ने सुप्रीम कोर्ट में जांच रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में शरीफ और उनके बेटे और बेटी पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई है.
अगर सुप्रीम कोर्ट इस सिफारिश को मंजूर कर लेता है तो नवाज को पीएम का पद छोड़ना पड़ेगा. विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ा है. इन हालातों में नवाज ने आज कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई. बैठक में नवाज ने कहा कि वो किसी के दबाव में आकर इस्तीफा नहीं देंगे. शरीफ ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में JIT की रिपोर्ट को चुनौती देंगे.
पनामा पेपर मामला क्या है?
दरअसल, नवाज शरीफ जिस पनामा पेपर विवाद में फंसे हैं वो पिछले साल सामने आया था. इसका खुलासा तब हुआ जब पनामा की लॉ कंपनी मोसाक फोनसेका ने एक करोड़ पंद्रह लाख गुप्त दस्तावेजों को सार्वजनिक किया. इनमें दुनिया के ताकतवर और अमीर लोगों की विदेश में बड़ी-बड़ी खरीदारी की पूरी जानकारी है.
इन लोगों में नवाज़ शरीफ, उनके दो बेटे हसन और हुसैन नवाज के साथ ही उनकी बेटी मरियम भी इसमें फंसी हैं. मरियम को नवाज का सियासी उत्तराधिकारी माना जाता है. नवाज पर आरोप है कि उन्होंने लंदन में कई महंगी प्रापर्टी विदेशी कंपनियों के जरिए खरीदी है. लेकिन उनकी पार्टी पीएमएल नवाज का दावा है कि सारी प्रापर्टी पाकिस्तान और खाड़ी में बिजनेस के पैसे से खरीदी गई है.
पनामा पेपर मामले में घिरे हैं नवाज शरीफ
पाकिस्तान में नवाज को लेकर बढ़ी हलचल का असर भारत पर पड़ सकता है. नवाज के हटते ही पाकिस्तान में अस्थिरता पैदा हो सकती है और पाकिस्तान अपनी मुश्किलों से ध्यान हटाने के लिए अक्सर अपना फोकस कश्मीर पर बढ़ा देता है. वहीं, नवाज़ शरीफ के लिहाज से देखें तो कुर्सी छोड़ने से पहले उन्हें किसी भरोसेमंद को पीएम बनाना होगा.
नवाज के भाई शाहबाज शरीफ के नाम की चर्चा थी जो इस वक्त पाकिस्तान में पड़ने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री हैं. हालांकि, पीएम के तौर पर पार्टी के नेता शाहबाज को कबूल करने से हिचक रहे हैं क्योंकि अगले साल पाकिस्तान में चुनाव हैं. इस वजह से नवाज ने कुर्सी पर डटे रहने का फैसला किया है.