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भारतीय मूल की ये लड़की इजरायल में राष्ट्रगान गाकर PM मोदी का करेगी स्वागत

तेल अवीव: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार से इजराइल यात्रा पर होंगे. यह यात्रा 4 जुलाई से 6 जुलाई के बीच होगी. पीएम मोदी की इस यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है. हालांकि, इसके संकेत खुद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दे दिये हैं.
मंगलवार को शाम 6.30 मिनट पर देश के प्रधानमंत्री मोदी इजराइल पंहुचेंगे. जहां एयरपोर्ट पर खुद इजरायल के पीएम मोदी का स्वागत करेंगे. जिसके बाद वो एक कृषि फार्म विजिट करेंगे. वहीं पांच तारीख को एक बजे मोदी की राष्ट्रपति से मुलाकात होगी. शाम साढे 4.30 बजे ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेस होगी फिर मोदी-नेतन्याहू के साथ इजरायल म्यूजियम जाएंगे.
पीएम मोदी रात 11.30 बजे भारतीय समुदाय को मोदी संबोधित करेंगे और 6 जुलाई को दोपहर 2 बजे मोदी भारतीय सैनिकों को श्रद्दांजलि देंगे. इसके बाद इजराइल के सीईओ के साथ मोदी लंच करेंगे. इस पूरे कार्यक्रम में एक खास आकर्षण और होगा. वो है भारतीय मूल की इजरायली सिंगर लिओरा इसाक.
तेल अवीव में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम के दौरान वहां भारत का राष्ट्रगान गाया जाएगा और सिंगर लिओरा इसाक इस कार्यक्रम में भारत और इजरायल दोनों के नेशनल एंथम गाएंगी. लिओरा जब 15 साल की थीं तब वो भारत आईं थी और उन्होंने पुणे में भारतीय शास्त्रीय संगीत की ट्रेनिंग ली थी.
लिओरा 8 सालों तक भारत में रहीं, इस दौरान उन्होंने गजल और भजन भी गाए. साल 1995 में उन्‍हें उनका पहला बॉलीवुड ब्रेक ‘दिल का डॉक्‍टर’ फिल्‍म से मिली और इस फिल्‍म में अनुपम खेर मेन लीड रोल में थे. साल 2015 में जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इजरायल का दौरा किया था. उस वक्त भी लियोरा ने बंकेट डिनर में गाना गाया था. इस बार पीएम मोदी इजरायल दौरे पर जा रहे हैं.
भारत ने इजरायल को 1950 में मान्यता दी लेकिन भारत के इजराइल के साथ कूटनीतिक संबंध 1992 में बने. फ्रंट चैनल डिप्लोमेसी के जरिए अब दोनों देशों के संबंध लगातार आगे बढ रहे है. प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के बाद भारत और इजराइल के बीच संबंध और प्रगाढ होंगे. विश्व जिस तरह से नई करवटे ले रहा है उससे इन संबंधों में फायदा भी है तो चुनौतियां भी कम नहीं.
1992 तक भारत तथा इजराइल के बीच किसी प्रकार के सम्बन्ध नहीं रहे, इसकी दो वजहें थी. पहली तो ये कि भारत गुट निरपेक्ष राष्ट्र था जो की पूर्व सोवियत संघ का समर्थक था और दूसरे गुट निरपेक्ष राष्ट्रों की तरह इजराइल को मान्यता नहीं देता था. दूसरा मुख्य कारण भारत फिलिस्तीन की आज़ादी का समर्थक रहा लेकिन 1989 में कश्मीर में विवाद और सोवियत संघ के पतन के के बाद पूरी दुनिया के राजनितिक परिवेश में बड़ा परिवर्तन आया.
जिसके बाद भारत ने अपनी सोच बदलते हुए इजराइल के साथ संबंधो को मजबूत करने पर जोर दिया और 1992 में नए दौर की शुरुआत हुई. इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के प्रति एक जैसी मानसिकता ने भी भारत और इजरायल को नजदीक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अब दोनों देश मिलकर हर मोर्चे पर आगे बढ रहे हैं.
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