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चीन ने नक्शा जारी कर भारत-भूटान की जमीन को बताया अपना

बीजिंग: भारत और भूटान से सीमा विवाद पर चीन ने नया दांव चला है. चीन ने एक नया नक्शा जारी किया है, जिसमें उसने गतिरोध वाली जमीन पर दावा किया है. चीन ने इस नए नक्शे से भारत-चीन-भूटान त्रिकोणीय जंक्शन पर भी दावा किया है. शुक्रवार को जारी इस नक्शे में चीनी त्रिकोणीय जंक्शन को एक तीर से दर्शाया गया है.
मानचित्र से चीन ने दावा किया है कि भारतीय सेना ने डोकाला पास पर सीमा पार की. डोकलाम इलाके को भूटानी क्षेत्र माना जाता है, लेकिन चीन ने इसे अपना बताया है. चीन ने ये नक्शा शुक्रवार को जारी किया है. चीन ने कहा कि डोकलाम इलाका उनके मवेशियों का पारंपरिक चारागाह रहा है. चीनी त्रिकोणीय जंक्शन को एक तीर द्वारा चिह्नित किया गया है, जो दावा करता है कि यह 1890 में ब्रिटिश-चीन संधि के अंतर्गत है.
पिछले कुछ दिनों से पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम से सटे चीन के बॉर्डर पर तनाव देखा जा रहा है. भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं. चीन ने भारतीय सैनिकों पर बॉर्डर में घुसने और सड़क निर्माण का काम रोकने का आरोप लगाया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने सिक्किम सेक्टर के डोका ला के लालटेन इलाके में घुसकर भारत के दो बंकर भी तबाह कर दिए हैं. दोनों देशों के सैनिकों के बीच ये रस्साकशी सिक्किम के डोका ला जनरल क्षेत्र में पिछले दो दस दिनों से लगातार चल रही है. इसके साथ ही चीनी अधिकारियों ने कैलाश मानसरोवर जा रहे श्रद्धालुओं को रोक दिया.
डोकलाम में भारतीय सैनिकों से हुए विवाद के बाद चीन ने धमकी भरे लहजे में 1962 की जंग का रेफरेंस देते हुए कहा कि भारत इतिहास से मिला सबक याद रखे. चीन की ओर से भारत को 1962 का युद्ध याद दिलाए जाने पर रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे अरुण जेटली ने कड़ा जवाब दिया है. उन्होंने दो टूक कहा कि 1962 और 2017 में काफी फर्क है.
जेटली ने भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों की सेना के बीच टकराव की स्थिति पर कहा कि भूटान ने साफ कर दिया है कि जहां चीन सड़क बना रहा है, वह जमीन भूटान की है और चूंकि भूटान एवं भारत के बीच सुरक्षा संबंध हैं, इसलिए भारतीय सेना वहां मौजूद है.
दरअसल चीन के सड़क निर्माण को लेकर आपत्ति भूटान की तरफ से आई. उसने डोंगलांग को अपना शहर बताते हुए भारत के जरिए चीन से अपना विरोध जताया कि चीन उसकी जमीन पर सड़क बना रहा है. चूंकि भूटान के रक्षा और विदेश मामले की देखरेख भारत करता है. लिहाजा भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन से आपत्ति जताई. लेकिन चीन ने उसे तीसरा पक्ष बता दिया जबकि भारत ने कहा कि उसे भूटाने की तरफ से विरोध दर्ज कराने का पूरा हक है.
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