नई दिल्ली: गिलगित-बाल्टिस्तान के स्कार्दू इलाके में पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन का दौर जारी है. प्रदर्शनकारी गिलगित-बाल्टिस्तान से पाक का अवैध कब्जा हटाने की मांग कर रहे हैं. एक प्रदर्शनकारी अमजद ने हुंकार भरते हुए कहा कि ‘गिलगित-बाल्टिस्तान की हर जमीन के मालिक क्षेत्रीय लोग हैं और कोई माई का लाल ये मालिकयत नहीं छीन सकता.
पाकिस्तान ने गिलगित बाल्टिस्तान को अपना पांचवां प्रांत बनाने का फैसला किया है. अभी पाकिस्तान में बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध चार प्रांत हैं. गिलगित-बाल्टिस्तान को एक अलग भौगोलिक क्षेत्र माना जाता है.वहां के लोगों की मांग है कि इस फैसले को वापस लिया जाए और साथ ही साथ पीओके के अंतरिम संविधान अधिनियम 1974 में संशोधन किया जाए.
गिलगिट-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान में शामिल करने की वजह पाकिस्तान-चाइना इकोनॉमिक कॉरिडोर है. ये कॉरिडोर गिलगिट-बाल्टिस्तान से गुजरता है और चीन विवादित इलाके में पूंजी निवेश और काम करने के लिए तैयार नहीं है. चीन की चिंताएं दूर करने के लिए ही पाकिस्तान संवैधानिक तौर पर गिलगिट-बाल्टिस्तान को अपना इलाका घोषित करने जा रहा है.
गिलगिट-बाल्टिस्तान 1846 से ही जम्मू-कश्मीर के डोगरा राजाओं के कब्जे में रहा है. 1947-48 में पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस हिस्से पर कब्जा किया, उनमें गिलगिट-बाल्टिस्तान भी है. पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर को दो हिस्सों में बांटा, जिनमें से एक को पीओके कहा जाता है और दूसरा हिस्सा गिलगिट-बाल्टिस्तान है.
पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के इन दोनों हिस्सों को पाकिस्तान स्वायत्त क्षेत्र कहता है, जबकि हकीकत ये है कि दोनों क्षेत्रों में पाकिस्तानी सरकार और पाक आर्मी की कठपुतली सरकारें ही काम करती हैं.