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जानिये क्या है डिजिटल करेंसी ‘बिटक्वॉयन’ और इसमें कितना है दम

नई दिल्ली: दुनिया का पहला आभासी मुद्रा बिटक्वॉयन एक बार फिर से चर्चा में है. वैश्विक स्तर पर जिस तरह से बिटक्वॉयन के वैल्यू में इजाफा हो रहा है, उससे इसकी चर्चा और तेज हो गई है. बता दें कि बिटक्वॉयन पहली और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल करेंसी है, जो डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देता है.  ब्लूमबर्ग के आंकड़े के मुताबिक, बिटक्वॉयन का मूल्य पिछले एक साल में 400 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गया है. यही वजह है कि भारत सरकार भी इसके ऊपर अब विचार करने लगी है. तो चलिये एक नजर डालते हैं बिटक्वॉयन पर.

क्या है बिटक्वॉयन:
दरअसल, बिटक्वॉयन लोगों को बिना किसी नोट, सिक्के, क्रेडिट कार्ड के सामान खरीदने या मुद्रा के लेन-देन की अनुमति देता है. बिटक्वॉयन एक इनोवेटिव टेक्नोलॉजी है, जिसके प्रयोग से वर्चुअली तरीके से ग्लोबल पेमेंट किया जा सकता है. जिस तरह से आज के समय में कालेधन का बोलबाला होते जा रहा है, उस लिहाज से बिटक्वॉयन को अच्छा माना जा रहा है. बिटक्वॉयन ऑनलाइन खरीद और हस्तांतरण के लिए उपयोग किया जाता है.
बिटक्वॉयन की शुरुआत:
वर्चुअल करंसी बिटक्वॉयन की शुरूआत 2009 में हुई थी. इसे सातोशी नाकोमोतो के नाम से किसी व्यक्ति या ग्रुप ने लॉन्च किया था. बताया जाता है कि इसके लोकप्रिय होने के बाद वो शख्स कहीं गायब हो गया. हालांकि, इंटरनल लॉजिक से इसे अभी भी चलाया जा रहा है. इसके जरिये लेन-देन के लिए किसी बैंक का सहारा लेने की जरूरत नहीं पड़ती. इस करंसी के इस्तेमाल से दुनिया के किसी भी कोने में डिजिटल भूगतान किया जा सकता है.
कैसे होता है लेन-देन:
बिटक्वॉयन पीयर टू पीयर सिस्टम है. इसकी मदद से बिना किसी मध्यस्थों के यूजर्स के बीच लेने देने हो सकता है. ये ट्रांजेक्शन नेटवर्क नोड द्वारा सत्यापित किये जाते हैं और ये सार्वजनिक वितरण खाते में दर्ज हो जाता है, जिसे ब्लॉकचैन कहा जाता है. इस ट्रांजैक्शन के लिए किसी सेंट्रेल बैंक की जरूरत नहीं पड़ती. क्योंकि बिटकॉइन एक ओपन सोर्स करेंसी है जहां कोई भी इसका कंट्रोल अपने हाथ में रख सकता है. इसके जरिये पेमेंट के लिए किसी तरह के रजिस्ट्रेशन या फिर आईडी की जरूरत नहीं पड़ती. बिटक्वॉयन आज दुनिया की सबसे ज्यादा वैल्यू वाली करंसी बनती जा रही है.
क्यों है हो रही है इसकी चर्चा:
साल 2015 से लेकर अब तक करीब एक लाख से अधिक व्यापारियों और विक्रेताओँ ने भूगतान के रूप में इस बिटक्वॉयन को स्वीकार लिया है. साल 2017 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा किये गये एक शोध से ये बात सामने आई है कि करीब 2.9 से 5.8 मिलियन यूजर्स इस बिटक्वॉयन का प्रयोग करते हैं.
जब से बिटक्वॉयन अस्तित्व में आई है, तब से इन सात सालों में काफी मजबूत करंसी बन गई है. जापान में नीति में परिवर्तन ने व्यापार को आसान बना दिया है. वहां नए नियम से जापान में रिटेलरों को बिटकॉइन लेने की इजाजत मिल गई. यही वजह है कि बिटकॉइन से होने वाले कुल व्यापार में 40 प्रतिशत हिस्सा जापान का है.
करेंसी में है दम:
ये साइबर के लिहाज से भी इतना सुरक्षित प्रणाली है कि हजारों कंपनियों, लोगों और नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशंस ने ग्लोबल बिटकॉइन सिस्टम को अपनाया है. बिटक्वॉइन से नकदी लेकर घूमने की समस्या से छुटकारा मिलता है. इतना ही नहीं, इसकी सारी जानकारी सार्वजनिक और पारदर्शी है. इसका एक फायदा ये है कि इससे कालाधन पर अंकूश लगाया जा सकता है.
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