नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस करीब 18 साल बाद एक-बार फिर आमने-सामने हैं. कुलभूषण जाधव के केस से पहले 1999 में भारत ने पाकिस्तान नेवी के एक एयरक्राफ्ट को मार गिराया था. इस मामले को लेकर पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट में गुहार लगाई थी. हालांकि कोर्ट ने पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था.
भारत ने 8 मई को आईसीजे में पिटीशन लगाकर जाधव के लिए इंसाफ मांगा था. भारत का कहना था कि पाकिस्तान में हमारे उच्चायोग ने जाधव से मुलाकात के लिए 16 बार काउंसल एक्सेस मांगा लेकिन हर बार इसे खारिज कर दिया गया था. यह अंतरराष्ट्रीय वियना ट्रीटी के खिलाफ है. नीदरलैंड के हेग में संयुक्त राष्ट्र के प्रधान न्यायिक अंग आईसीजे के पीस पैलेस के ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में जन सुनवाई होगी.
बता दें कि पाकिस्तान की एक सैन्य कोर्ट ने पिछले महीने जाधव को कथित तौर पर जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी. इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को की जाएगी और सुनवाई का सीधा प्रसारण अदालत की वेबसाइट पर किया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बताया जा रहा है कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट को कहेगा कि पाक की राष्ट्रीय स्थिरता संबंधित मामले पर इसका कोई अधिकार नहीं है.
पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर जाधव की गिरफ्तारी 29 मार्च 2016 को दिखाई थी और दावा किया था कि जाधव बलूचिस्तान और कराची में आतंकवाद फैलाने का काम कर रहे थे. भारत का कहना है कि जाधव को अगवा किया गया है. गिरफ्तारी के बाद भारतीय उच्चायोग ने कई बार उनसे मिलने की इजाजत मांगी थी. लेकिन पाकिस्तान ने इसकी इजाजत नहीं दी.
कौन है कुलभूषण जाधव
कुलभूषण जाधव मुंबई के रहने वाले हैं. कुलभूषण जाधव साल 1991 में नौसेना में अधिकारी के तौर पर कमीशन किए गए थे और 2013 में रिटायर हो गए. भारत सरकार के मुताबिक जाधव का कार्गो बिजनेस है और वो ईरान के चाबहार बंदरगाह से पाकिस्तान के कराची तक कार्गो लेकर आते थे. भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने जाधव को पाकिस्तानी जल सीमा में पकड़ा और जासूस बताकर कब्जे में ले लिया.
यही नहीं, पिछले एक साल से कुलभूषण को कहां रखा, ये भी किसी को नहीं बताया. उनके खिलाफ मिलिट्री कोर्ट में कब सुनवाई हुई, इसकी जानकारी भी किसी को नहीं दी. ऐसे में उन्हें वकील मुहैया कराने का उसका दावा बेतुका है. जबकि पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज भी कह चुके हैं कि कुलभूषण के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं.