नई दिल्ली : यूरोप समेत दुनिया के 100 देशों में रेनसमवेयर वायरस से साइबर हमले की खबरें आ रही है. इस हमले से दुनिया भर के लाखों कंप्यूटर ठप हो गए हैं. हमले के लिए रेनसमवेयर नाम के वायरस को जिम्मेदार माना जा रहा है. उनके शिकार अस्पतालों के अलावा टेलिकॉम फर्म और कई कंपनियां हुई हैं. हमले के बाद हैकर्स ने फिरौती की मांग की है. इस हमले के बाद दुनियाभर में हड़कंप मच गया है.
माना जा रहा है कि हैकर्स ने अमेरिका की नेशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर इतने बड़े पैमाने पर साइबर अटैक किया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका की नेशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जिस तकनीक का इस्तेमाल करती थी वह इंटरनेट पर लीक हो गई थी और हैकर्स ने उसी तकनीक का इस्तेमाल किया है. हैकर्स ने संदेश छोड़ा है कि अगर सबकुछ फिर से पहले जैसा करने है तो इन देशों को बिटकॉन में फिरौती देनी होगी.
बताया जा रहा है जो भी कंप्यूटर कथित तौर पर साइबर अटैक शिकार हुए हैं उसे खोलने पर फाइल रिकवर करने के बदले 300 डॉलर बिटक्वाइन की मांग की गई है. मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रिटेन के कई अस्पतालों का कहना है कि इस साइबर अटैक की वजह से उन्हें कंप्यूटर ऑन करने में परेशानी हो रही है.
ब्रिटेन की तरह ही स्पेन, पुर्तगाल और रूस में भी साइबर हमले हुए. 90 से ज्यादा
देश इस साइबर हमले की चपेट में आए हैं. सुरक्षा फर्म कैस्परस्की लैब और अवेस्टसेड ने इस हमले के लिए जिम्मेदार मैलवेयर की पहचान की है. दोनों सुरक्षा फर्मों का कहना है कि इस साइबर हमले से रूस सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है.
क्या है रेनसमवेयर वायरस
रेनसमवेयर एक ऐसा वायरस है जो कंप्यूटर्स फ़ाइल को बर्बाद करने की धमकी देता है. धमकी दी जाती है कि यदि अपनी फ़ाइलों को बचाना है तो फीस चुकानी होगी. ये वायरस कंप्यूटर में मौजूद फ़ाइलों और वीडियो को इनक्रिप्ट कर देता है और उन्हें फिरौती देने के बाद ही खोला जा सकता है.