नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बौद्ध समारोह ‘वैसाख डे’ में हिस्सा लेने के लिए दो दिनों के श्रीलंका दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बड़ा ऐलान किया. इस ऐलान के मुताबिक कोलंबो को काशी से डायरेक्ट फ्लाइट के जरिए जोड़ दिया जाएगा. ये विमान सेवा अगस्त से शुरू होगी.
कोलंबो से वाराणसी की फ्लाइट
पीएम मोदी ने कहा, मैंने कोलंबो से वाराणसी के लिए सीधे एयरइंडिया फ्लाइट की घोषणा की है. इसके साथ आप भगवान शिव के दर्शन के लिए वाराणसी जा सकते हैं.” मोदी ने कहा कि चाय पर चर्चा सिर्फ एक नारा नहीं है बल्कि मजदूरों के लिए सम्मान की बात है. मैं आपके पूर्वजों को नमन करता हूं, जिन्होंने भारत से श्रीलंका के अच्छे संबंधों की नींव रखी थी. पीएम मोदी ने ये ऐलान दिकोया में तमिल मूल के लोगों के बीच किया.
पाकिस्तान को बनाया निशाना
पीएम मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा कि आज के समय में दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती शांति स्थापित करना है. शांति के लिए राष्ट्रों के बीच संघर्ष जरूरी नहीं है. आतंकवाद नफरत और हिंसा पर आधारित मानसिक स्थिति का नतीजा है, दक्षिण एशिया में आतंकवाद सिर्फ विध्वंस की भावनाओं के साथ अपनी जड़ें जमा रहा है.
पीएम मोदी का ये दौरा श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेना के निमंत्रण पर हो रहा है. दिकोया में पीएम मोदी ने भारत की मदद से 150 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का उद्घाटन भी किया. चाय बगान के लिए मशहूर दिकोया में भारतीय मूल के तमिलों की अच्छी खासी आबादी है.
PM ने कई बड़े नेताओं से की मुलाकात
श्रीलंका दौरे के पहले दिन पीएम मोदी ने राष्ट्रपति समेत कई बड़े नेताओं से मुलाकात की थी और इस दौरान उन्होंने मंदिर का दौरा भी किया. पीएम मोदी की यात्रा को लेकर श्रीलंका की ओर से पहले ही कह दिया गया है कि इस दौरे में मछुआरों या अन्य किसी बड़े मुद्दे पर बातचीत नहीं की जाएगी. पीएम मोदी यहां केवल वैसाख दिवस समारोह में हिस्सा लेने ही आए हैं.
वहीं विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजय पांडा ने बताया कि इस यात्रा में किसी भी तरह की कोई औपचारिक बैठक का कार्यक्रम नहीं रखा गया है. साथ ही इस कार्यक्रम में किसी भी दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर नहीं किया जाएगा.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि चीन काफी समय से श्रीलंका में अपनी जड़ें जमाना चाहता है, ताकि वो हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाकर भारत पर दबाव बढ़ा सके. प्रधानमंत्री मोदी चीन की इस कूटनीति का जवाब श्रीलंका के साथ भावनात्मक लगाव के जरिए देने में जुटे हैं. यही वजह है कि पिछले तीन साल में उन्होंने दूसरी बार श्रीलंका का दौरा किया है.
प्रधानमंत्री मोदी की ये पहल रंग भी दिखाने लगी है. उनके दौरे के बीच ही श्रीलंका ने चीन को टका सा जवाब दे दिया है, जो श्रीलंका की सीमा में अपनी पनडुब्बी तैनात करना चाहता था. 2014 में श्रीलंका चीन के झांसे में आ गया था, लेकिन मोदी ने अपनी दोस्ताना कूटनीति से श्रीलंका को उसकी गलती का एहसास करा दिया और चीन की चाल इस बार नाकाम हो गई.