वाशिंगटन. अमेरिका ने अब तक के सबसे खतरनाक परमाणु बम का परीक्षण किया है. इसके साथ ही उसने एक बार फिर से पूरी दुनिया में उन्नत परमाणु बमों की होड़ का रास्ता भी खोल दिया है.
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने नेवादा के राजस्थान ‘बी61-12’ का हवाई परीक्षण किया है. इस बम को लेकर पहले भी कई तरह की खबरें आ चुकी हैं जिसमें सबसे प्रमुख बात ये थी कि इसके निर्माण के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों पास बजट का अभाव है और सरकार इसे मुहैया नहीं करवा रही है.
क्या खास बात है इस बम की ?
बी61-12’ परमाणु बम की खास बात यह है कि इस बम को कहीं से भी संचालित किया जा सकता है. इसमें धमाका तभी होगा जब यह निशाने तक पहुंच जाएगा. इस बम के पीछे पूंछ की तरह के उपकरण लगा होगा जो इसे संचालित करेगा.
इसको गिराने वाले विमान का पायलट इसे संचालित करेगा. यह आकाश, जमीन और जमीन के नीचे तक के लक्ष्य को भेद सकता है. इसकी मारक क्षमता घटाई-बढ़ाई जा सकती है. मतलब लड़ाई के दौरान तय किया जाएगा कि किसी महानगर को तबाह करना है या फिर दुश्मन के मिसाइल लॉन्चर पैड को.
क्या है इसको लेकर योजना
इस बम को बनाने के लेकर कई सालों से काम चल रहा था. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से इस योजना में काम तेजी से शुरू कर दिया गया है और 2020 तक इस बम की एक सीरीज तैयार कर ली जाएगी.
बताया जा रहा है यूरोप में तैनात किए अमेरिकी परमाणु बमों की जगह इस बम को लगाया जाएगा. बी61-12 के लिए के लड़ाकू विमान एफ-22 रैप्टर, एफ-22 लाइटनिंग, ए-10 थंडरबोल्ट और बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान एफ-16 का इस्तेमाल किया जाएगा. यह अमेरिका से सबसे उन्नत विमान हैं.
रूस ने जताया ऐतराज
रूस ने अमेरिका के इस परीक्षण पर कड़ा ऐतराज जताया है. रूस की ओर से कहा गया है अमेरिका विनाशकारी हथियारों को बढ़ावा दे रहा है. शक्ति संतुलन के लिए बाकी देश भी ऐसे ही बमों के निर्माण के लिए मजबूर होंगे.
कितना खतरनाक है ये बम
अमेरिका ने जो परमाणु बम हिरोशिमा में गिराया था वह 15 टन का था जबकि बी61-12 350 टन का है. हिरोशिमा में 15 टन के बम के फटने के तुरंत बाद 1 लाख मारे गए थे. इस बम के बाद तक काफी दुष्प्रभाव भी देखने में आए थे जिसमें भी काफी लोग मारे गए थे.