न्यूयॉर्क: भारत समेत जी-4 देशों ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए वो वीटो के अधिकार को कुछ समय के लिए छोड़ने के लिए तैयार हैं. संयुक्त राष्ट्र सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के प्रयास के तहत जी 4 देशों ने कहा है कि वे नए विचारों के लिए तैयार हैं और स्थायी सदस्य के तौर पर अस्थायी रूप से वीटो का अधिकार नहीं होने के विकल्प को लेने के लिए भी वो तैयार हैं.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधी सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए बड़ी संख्या में सदस्य देश स्थायी और अस्थायी सदस्यता के विस्तार का समर्थन करते हैं. जी-4 देशों में भारत के अलावा ब्राजील, जर्मनी और जापान शामिल हैं.
सैयद अकबरुद्दीन ने अपने बयान में कहा कि ”हम इस बात को जानते हैं कि आगे बढ़ने का कोई दूसरा तरीका नहीं है. लेकिन इसके साथ ही हम संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए नए विचारों का स्वागत करते हैं।’ जी4 देशों ने कहा कि ”यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी तक उन्हें कोई प्रगतिशील विचार सुनने को नहीं मिला है और कुछ देश पुराने ठुकराए गए विचारों को दोबारा पेश कर रहे हैं.”
माना जा रहा है कि संयुक्त रूप से दावेदारी पेश करने के कारण जी-4 देशों की स्थिति मजबूत हुई है. लेकिन इसमें बड़ा रोड़ा गुट के क्षेत्रिय विरोधी हैं जो ऐसा नहीं चाहते. जैसे कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में भारत की दावेदारी को कमजोर करना चाहता है. ठीक उसी तरह चीन भी नहीं चाहता कि जापान स्थायी सदस्य बने. इटली को भी जर्मनी की दावेदारी पसंद नहीं है.
भारत के लिहाज से अच्छी बात ये है कि सुरक्षा परिषद में सुधार और स्थायी सदस्यता की भारत की मुहीम को ब्रिटेन और फ्रांस समेत कई देशों का समर्थन प्राप्त है.