नई दिल्ली : अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शरणार्थी नीति में बदलाव करने पर सबसे कम उम्र की नोबल विजेता मलाला यूसुफजई ने कहा है कि उनके इस फैसले से मेरा दिल टूट गया है. उन्होनें इसपर दुख जताया है. मलाला ने ट्रंप से अनुरोध किया है कि वे दुनिया के सबसे असुरक्षित लोगों को अकेला न छोड़ें.
मलाला यूसुफजई ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने हिंसा से परेशान उन बच्चों और माता पिता के अंदर पल रही उम्मीदों के दरवाजे बंद कर दिए हैं. हिंसा और युद्ध के इलाकों को छोड़कर भाग रहे माता-पिताओं के लिए दरवाजे बंद होने से मलाला बहुत चिंतित हैं.
मलाला यूसुफजई शुरु से ही पाकिस्तान में लड़कियों के शिक्षा की वकालत करती रही हैं. 2012 में तालिबानी आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी थी. बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता कैलाश सत्यार्थी के साथ उन्हें नोबल शांति पुरस्कार भी मिला था.
मलाला यूसुफजई ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दुनिया के सबसे असहाय बच्चों और परिवारों से मुह न मोड़ने की अपील की है. वे इस समय इंग्लैंड में रह रही हैं. मलाला ने कहा है कि मैं बहुत दुखी हुं कि अमेरिका अपने गौरवाशाली इतिहास को पीछे छोड़ रहा है. उन्होनें कहा है कि इन्हीं लोगों ने अमेरिका को आगे ले जाने में मदद की.