नई दिल्ली : ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालते ही H-1B वीजा पर नकेल कसना शुरु हो गया है. H-1B वीजा से जुड़ा बिल सीनेट में पेश हो गया है. अब अमेरिका में बढ़े छात्रों को तरजीह दी जाएगी.
राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ट्रंप ने अमेरिका फर्स्ट का नारा दिया. ट्रंप ने साफ कहा कि वे अमेरिका में नौकरियों में स्थानीय लोगों को वरीयता देंगे. उन्होनें वादा किया है कि वे H-1B के नियमों को और कड़ा कर देंगे.
अमेरिका के दो सांसदों ने H-1B वीजा से जुड़ा एक बिल अमेरिकी संसद में पेश किया है. इस बिल को संसद की मंजूरी मिल गई तो भारतीय IT कंपनियों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है. इससे भारतीय कामगारों को रोजगार संबंधी मुश्किलें हो सकती हैं.
अमेरिका में काम करने वाले लाखो भारतीयों को इससे नुकसान हो सकता है क्योंकि तब केवल उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो अमेरिका के होंगे और अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई किए होंगे.
अमेरिकी कंपनियों में विदेशी कामगारों के मुद्धे पर ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही सख्त दिखाई दे रहे थे. इस मुद्धे को उन्होनें बहुत जोर शोर से उठाया था. उन्होनें कहा था कि वे अमेरिकी कामगारों की जगह विदेशी कामगारों को नौकरी पर नहीं रखने देंगे.