वाशिंगटन. 20 जनवरी को बराक ओबामा से अमेरिका की बागडोर संभालने को तैयार निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा मंत्रालय यानी पेंटागन के अधिकारियों से मुलाकात के बाद कहा है कि अमेरिका को तब तक जोर-शोर से परमाणु ताकत बढ़ाते रहना चाहिए जब तक बाकी दुनिया की अक्ल ठीक ना हो जाए.
ट्रंप ने गुरुवार की रात ये बयान ट्वीट किया है जिससे एक दिन पहले वो रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मिले थे. उस मुलाकात में अमेरिका की सुरक्षा और रक्षा जरूरतों पर बात हुई थी और ये भी कि कैसे सैन्य खर्च घटाया जाए.
ट्रंप के ट्वीट पर बात करने से पहले ये जान लीजिए कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी गुरुवार को अपनी सेना से परमाणु ताकत बढ़ाने और ऐसी तकनीकें हासिल करने को कहा था जो किसी भी देश के मौजूदा या भावी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी भेद कर वहां बम गिरा सके.
रूस और अमेरिका पारंपरिक तौर पर दुनिया का बिग बॉस बनने की कूटनीतिक लड़ाई लंबे अर्से से लड़ रहे हैं. ऐसे में पुतिन का यह कहना कि परमाणु ताकत बढ़ाओ और फिर उसके बाद ट्रंप का यह कहना कि और परमाणु बम बनाओ, दुनिया की शांति के लिए बड़े खतरे की आहट है.
और ये सब दोनों तब कह रहे हैं जब पूरे अमेरिका में ट्रंप की जीत के पीछे कुछ हद तक रूसी राष्ट्रपति पुतिन की कोशिश के चर्चे खुले-आम हो रहे हैं. अमेरिकी एजेंसी एफबीआई और सीआईए भी यह मान चुकी है कि रूसी हैकर्स ने अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में सेंध लगाई जिससे ट्रंप को फायदा पहुंचे.
इस समय अमेरिका, रूस समेत दुनिया के 191 देशों ने परमाणु अप्रसार संधि यानी NPT पर दस्तखत कर रखा है जिसका मकसद परमाणु क्षमता के विस्तार को रोकना और जिनके पास ये ताकत है, उनको संयम में रखना है. लेकिन पुतिन और ट्रंप के बयान से आसार अच्छे नहीं लग रहे हैं.
चलिए, अब फिर से ट्रंप का ट्वीट पढ़ते हैं. अंग्रेजी में उन्होंने जो लिखा है उसका हिन्दी अनुवाद भाव के आधार पर करें तो ये कहा जा सकता है कि उन्होंने कहा है कि जब तक दुनिया को सद्बुद्धि ना आ जाए तब तक अमेरिका को परमाणु ताकत बढ़ाना चाहिए.
डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से मुंहफट बोलते हैं, उस अंदाज में अनुवाद करें तो ये कहा जा सकता है कि उन्होंने कहा है कि जब तक दुनिया के बाकी देशों की अक्ल ठीक न हो जाए तब तक अमेरिका को परमाणु ताकत बढ़ाना चाहिए.
ट्रंप और पुतिन के इस बयान पर अमेरिकी पत्रकार सारा केंडजियोर ने ट्वीट करके कहा कि ऐसा लगता है कि रूस और अमेरिका एक-दूसरे के खिलाफ आर्म्स रेस में नहीं हैं बल्कि ट्रंप के नेतृत्व में दोनों देश किसी तीसरे देश पर परमाणु बम गिराने की मंशा रखते हैं.
सारा के आगे के ट्वीट में ये बताया गया है कि ये तीसरा देश मध्य पूर्व का देश या यूरोप का कोई देश हो सकता है. ये तो हमको पता ही है कि यूरोप के कुछ देशों के साथ रूस का लंबा पंगा चल रहा है और मध्य पूर्व को जंग का मैदान बनाने में अमेरिका का रोल किसी से छिपा नहीं है.
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