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पीरियड्स में जानवरों से बदतर हो जाती है लड़कियों की हालत, परंपरा ने ली एक और मासूम की जान

दुनिया भर में अजीबो-गरीब परंपराएं प्रचलित हैं. इन परंपराओं को परंपरा ना कहकर कुरितियां कहना बेहतर होगा. ऐसी ही एक परंपरा नेपाली में प्रचलित है. यहां लड़कियों को पीरियड्स होने पर अकेले कमरों में फेंक दिया जाता है. कभी-कभी तो इनको कमरों की कमी होने के कारण जानवरों के कमरों में महावारी का समय गुजारना पड़ता है

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  • December 20, 2016 1:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : दुनिया भर में अजीबो-गरीब परंपराएं प्रचलित हैं. इन परंपराओं को परंपरा ना कहकर कुरितियां कहना बेहतर होगा. ऐसी ही एक परंपरा नेपाली में प्रचलित है. यहां लड़कियों को पीरियड्स होने पर अकेले कमरों में फेंक दिया जाता है. कभी-कभी तो इनको कमरों की कमी होने के कारण जानवरों के कमरों में महावारी का समय गुजारना पड़ता है. जिसके कारण कभी -कभी ये परंपराएं लड़कियों के लिए जान का जोखिम साबित होती हैं. नेपाल में इस परंपरा को छौपड़ी कहा जाता है.
 
ऐसा ही एक मामला नेपाल में फिर से सामने आया है. अमेरिकी अंग्रेजी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार इस नेपाली कुरीति ने एक बार फिर से एक 15 साल की लड़की की जान ले ली. खबर के अनुसार रविवार की सुबह एक 15 साल की लड़की मृत अवस्था में पाई गई. उसे उसके परिजनों ने महावारी के शुरु होने पर झोंपड़ी की छत पर रात गुजारने के लिए छोड़ दिया था. लेकिन दम घुटने के कारण लड़की की मौत हो गई. 
 
मामले के बारे में पुलिस ने लोकल रिपोर्टर को बताया कि 9 वीं में पढ़ने वाली इस लड़की को महावारी शुरु हो गई थी. जिसके बाद परिजनों ने उसे झोंपड़ी की छत पर रात गुजारने के लिए छोड़ दिया था, साथ ही ठंड से बचने के लिए आग जला दी थी. लेकिन इसी आग के धुंए से दम घुटने के कारण लड़की की मौत हो गई. लड़की रविवार को छत पर मृत पाई गई. 
 
इस परंपरा को खत्म करने के लिए काफी समय से समाजसेवी संस्थाओं के द्वारा आवाज उठती रही हैं. प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल इस परंपरा को खत्म करने का पहले ही ऐलान कर चुके हैं, लेकिन सरकारी फरमान के बावजूद ये परंपरा बदस्तूर जारी है.  
 

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