न्यूयॉर्क. भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मौत की सजा पर रोक लगाने की मांग वाले प्रस्ताव का विरोध किया है. भारत ने मौत की सजा पर रोक संबंधी संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव विरोध करते हुए कहा है कि यह भारतीय वैधानिक कानून और अपना कानूनी तंत्र रखने के हर देश के संप्रभु अधिकार के विपरीत है. हालांकि उसने उस संशोधन का समर्थन किया है, जिसमें घरेलू विधि व्यवस्था विकसित करने के संप्रभु अधिकार की बात की गई है.
यूएन में भारतीय काउंसलर मयंक जोशी ने ने इस प्रस्ताव को घरेलू कानून के खिलाफ बताया. उन्होंने ये भी कहा कि यह कानून बनाने और दंड निर्धारित करने के संप्रभु अधिकार के भी विरुद्ध है. भारत के अलावा अमरीका और अन्य सदस्य इसके विरोध में हैं. महासभा की समिति ने इसे 38 के मुकाबले 115 मतों से स्वीकार कर लिया है. भारत ने इसके खिलाफ में वोट किया है.
इस मुद्दे पर भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए जोशी ने कहा कि भारत में बेहद जघन्य अपराध करने पर रेयरेस्ट ऑफ रेयर (अति दुर्लभ) मामलों में ही मौत की सजा दी जाती है. साथ ही सजा देने के पहले न्यायालय में निष्पक्ष सुनवाई की जाती है और आरोपी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है. इसके अलावा राष्ट्रपति और राज्यपालों को दोषियों को माफ करने या उसकी सजा कम करने या बदलने का अधिकार है.