नई दिल्ली. सऊदी अरब के जेद्दा में एक महिला एक्टिविस्ट सौउद अल-शामेरी को पुरुषों के दाढ़ी वाली फोटो शेयर करना काफी महंगा पड़ा है. उन्होंने जब सऊदी मौलवियों की घनी दाढ़ी के बारे में कई ट्वीट किए तो उन्हें बिल्कुल ये अंदाजा नहीं था कि इसके लिए उन्हें जेल हो सकती है.
हुआ ये कि सौउद अल-शामेरी ने अपने ट्विटर पर दाढ़ी वाले कई पुरुषों की फोटो शेयर की थी. इनमें एक यहूदी, हिप्पी, कम्युनिस्ट, ओटोमन खलीफा, सिख और एक मुस्लिम शामिल थे. इसके बाद उन्होंने लिखा था कि सिर्फ दाढ़ी रखने से ही कोई आदमी पवित्र या मुसलमान नहीं बन जाता. पैगंबर मोहम्मद के दौर में उनके एक कटु आलोचक की दाढ़ी उनसे भी लंबी थी.
सौउद के इसी ट्विट के लिए सऊदी अरब में कुछ बड़े मौलवियों और रुढ़िवादी लोगों ने उन्हें पाखंडी और शैतान बताते हुए सख्त सजा की मांग की थी.
अल-शामेरी छह बच्चों की मां हैं और उनका दो बार तलाक हो चुका है. वो इस्लामी कानून में स्नातक हैं. अल-शामेरी की परवरिश एक पारंपरिक कबीले में हुई थी. अब वो एक उदारवादी नारीवादी कार्यकर्ता हैं और सऊदी अरब के ताकतवर धार्मिक प्रतिष्ठान को चुनौती देने के लिए जानी जाती हैं. उनकी दलीलों का आधार इस्लाम होता है.
मिली 3 महीने जेल की सजा
उन्हें अपने विचारों की कीमत चुकानी पड़ी है. सौउद को तीन महीने जेल में बिताने पड़े. उन पर लोगों को भड़काने का आरोप है. सरकार ने उनके विदेश जाने पर भी रोक लगा दी. उनके साथ ‘फ्री सऊदी लिबरल्स नेटवर्क’ नाम का एक ऑनलाइन मंच बनाने वाले ब्लॉगर रैफ बदावी 10 साल की सजा काट रहे हैं और उन्हें सार्वजनिक तौर पर 50 कोड़े लगाए गए थे.
सौऊद के पिता भी उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं और उन्हें परिवार से बेदखल कर दिया है. फिर भी सौउद बेहिचक अपने काम में लगी हुई हैं. सौऊद कहती हैं- मेरा अधिकार है जो मुझे अपने धर्म के विरूद्ध नहीं दिखता है. मैं इन अधिकारों के लिए आवाज उठाना चाहती हूं. जो लोग बिना सोचे-समझे फैसले ले रहे हैं, मैं चाहती हूं कि वे मेरी बात जरा ध्यान से सुनें और उस पर अमल करें.
सौउद के ट्वीटर पर इस समय दो लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.