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भूकंप के 27 दिनों बाद, मलबे से ज़िंदा मिला था ये शख्स, जानें तबाही के मंजर से लड़ाई

नई दिल्ली: हैती में आए भूकंप के मलबे से 15 दिन बाद 16 साल की एक लड़की को जिंदा बचाया गया। पूरी दुनिया में भूकंप के बाद ऐसे मामले सामने आते हैं, जब कई दिनों के बाद लोगों को मलबे से जिंदा निकाला जाता है….जब बचने की सारी उम्मीद खत्म मानी जाती है। तुर्की और सीरिया में आए भूकंप को 05 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। 20,000 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि भूकंप के बाद आप कब तक मलबे में जिंदा रह सकते हैं? तुर्की और सीरिया में, माना जाता है कि हजारों लोग अभी भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं क्योंकि दुनिया भर से बचाव दल उन्हें बचाने के लिए हाथ-पाँव मार रहे हैं। ये टीमें दिन-रात काम करती हैं। हालाँकि समय बीतने के साथ-साथ मलबे में दबे लोगों के जिंदा होने की संभावना भी कम हो जाती है।

 

➨ पहला घंटा जान बचाने के लिए ज़रूरी

भूकंप के जानकार और शोधकर्ता कहते हैं कि जीवित रहने की संभावना के लिए सबसे बड़ी परेशानी चोट है। पत्थर या कंक्रीट के नीचे कुचले जाने के कारण हुई चोटों से सबसे ज़्यादा मौत होती हैं। अगर आप दबे हुए लोगों को पहले घंटे के भीतर बाहर नहीं निकालते हैं, तो उनके बचने की संभावना कम है।

 

➨ कब बंद होती है तलाश?

मिली जानकारी के अनुसार, आमतौर पर पाँचवे या सातवें दिन के बाद, मलबे के नीचे किसी को ज़िंदा ढूँढना मुश्किल होता है। इसलिए ज्यादातर चाव दल तब तक लोगों की तलाश बंद कर देते हैं।

 

➨ इच्छाशक्ति और मानसिक शक्ति ज़रूरी

जानकारी के लिए बता दें, पीड़िता की मानसिक स्थिति भी बहुत कुछ तय करती है। कई बार जब लोग उम्मीद खो देते हैं, खुद से नहीं लड़ते हैं, तो शरीर भी हार मान लेता है, जो स्वाभाविक है, लेकिन कभी-कभी आपकी आत्मा आपको बचा लेती है।

 

➨ इसके बाद भी ज़िंदा मिले लोग

वैसे तो कई ऐसे मामले हैं जहाँ 07 दिन बाद भी लोग जिंदा पाए गए। हालाँकि ऐसा बहुत कम होता है। इसमें आमतौर पर युवा या बच्चे ज़िंदा बचे रहते हैं। अगर वो उन जगहों पर फँस जाते हैं जहाँ उन्हें हवा और पानी मिलता है, तो उनकी उम्मीद ज़्यादा होती है। जापान में 2011 में आए भूकंप और सुनामी 9 दिन बाद दिन बाद एक किशोर और उसकी 80 साल की दादी मलबे में ज़िंदा पाए गए थे। इसी तरह 2010 में हैती में आए भूकंप में 27 दिन बाद मलबे में एक शख्स जिंदा मिला था। 2013 में बांग्लादेश में आए भूकंप में एक महिला फैक्ट्रियों के मलबे में दब गई थी, 17 दिन बाद जब उसे बाहर निकाला गया तो देखा कि उसकी साँसे चल रही थी।

➨ अन्य बिंदु

• आमतौर पर भूकंप के मलबे में दबे हुए लोगों को जिंदा निकालने का काम एक हफ्ते के बाद बंद हो जाता है।
• भूकंप आने के बाद का पहला घंटा सबसे अहम होता है, अगर आपको अभी मदद मिल जाए तो बड़ी संख्या में लोगों की जान बच सकती है।
• हैती में 27 दिन बाद भी एक युवक भूकंप के मलबे में जिंदा मिला है।

 

 

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Amisha Singh

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