बीजिंग. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश दौरा सफल विदेश दौरों में गिना जा रहा है, लेकिन चीन इससे तिलमिलाया हुआ है. तीस्ता नदी जल बंटवारे के मुद्दे पर भारत और बांग्लादेश के किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाने की पृष्ठभूमि में चीन ने कहा है कि मोदी बांग्लादेश को 'प्यासा' ही छोड़ गए.
बीजिंग. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश दौरा सफल विदेश दौरों में गिना जा रहा है, लेकिन चीन इससे तिलमिलाया हुआ है. तीस्ता नदी जल बंटवारे के मुद्दे पर भारत और बांग्लादेश के किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाने की पृष्ठभूमि में चीन ने कहा है कि मोदी बांग्लादेश को ‘प्यासा’ ही छोड़ गए. चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक अनाम विशेषज्ञ के हवाले से लिखा, ‘तीस्ता समझौते के बिना यह यात्रा हमारे लिए गहरी निराशा की बात है.’
शिन्हुआ के मुताबिक, ‘बांग्लादेश के लोगों का कहना है कि भारत में पश्चिम बंगाल की सरकार ने हालिया वर्षों में तीस्ता का अधिकांश जल अपनी ओर कर लिया है और बांग्लादेश के लिए बेहद कम छोड़ा है.’ लेख में कहा गया है, ‘बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने भारतीय समकक्ष के साथ उनकी मुलाकात बेहद सार्थक रही. हालांकि, तीस्ता जल बंटवारा करार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर भारत के हस्ताक्षर नहीं करने पर अड़ने के कारण इसे झटका लगा. इससे बांग्लादेशी लोग हताश हैं और जिसके चलते प्रदर्शन हुए.’
तीस्ता जल बंटवारा समझौता टला
मोदी के सफल दौरे के बावजूद बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे का समझौता अभी भी अधर में है. दरअसल तीस्ता जल बंटवारे में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अभी भी सहमत नहीं हुई हैं. सितंबर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान तीस्ता समझौता किया जाना था लेकिन बनर्जी के एतराज के बाद अंतिम समय में इसे टाल दिया गया. इसी कारण से बनर्जी उस वक्त प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं बनीं थीं. हालांकि, मोदी तीस्ता जल बंटवारे को लेकर उत्साह में हैं. उन्होंने अपने भाषण में कहा भी कि इस मामले को हम राज्यों के साथ चर्चा करके निबटा लेंगे.