नई दिल्ली. मक्का में पवित्र हजा यात्रा के दौरान निभाई जाने वाली शैतान को पत्थर मारने की रस्म आज से शुरु हो रही है. इस साल हज यात्रा पर गए दुनियाभर के हज यात्री इस परंपरा को निभाने के लिए सउदी अरब के अराफात पर्वत पर पहुंच रहे हैं. अराफात पर्वत का यह इलाका मक्का से 15 किलोमीटर दूर है. यात्रियों की असुविधा से बचाने के लिए सऊदी सरकार ने 18 हजार बसों का भी इंतजाम किया है. लेकिन 18 लाख हाजियों की संख्या के लिए ये इंतजामात कम पड़ रहे हैं. जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग पैदल ही यात्रा कर रहे हैं.
सोमवार से मीना में शैतान को पत्थर मारने की रस्म शुरू होगी. सउदी सरकार ने पिछलों सालों में परंपरा के दौरान हादसों को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं. हेलीकॉप्टरों से जायरीनों की निगरानी का जा रही है. आइये आपको बताते है कि पिछलों सालों में कितने लोगों ने इस रस्म अदायगी और हज यात्रा के दौरान अपनी जान गंवाई है.
13 जुलाई 1990
मक्का से मीना और अराफात की ओर जाने वाले के दौरान इसमें 1426 लोग मारे गए थे.
23 मई 1994
शैतान को पत्थर मारने के दौरान हादसा, 270 लोगों की मौत.
09 अप्रैल 1998
118 लोगों की मौत, 180 लोग जख्मी.
05 मार्च 2001
शैतान को पत्थर मारने के दौरान 35 लोग मारे गए.
11 फरवरी 2003
पत्थर मारने के दौरान हादसे ने ली 14 लोगों की जान.
01 फरवरी 2004
शैतान को पत्थर मारने की परंपरा में 251 हाजियों की मौत, सैंकड़ों घायल.
12 जनवरी 2006
पत्थर मारने के दौरान भगदड, 340 लोगों की मौत, 290 लोग घायल.
13 सितंबर 2015
हज के दौरान क्रेन के गिरने से 107 लोगों की मौत.
22 सितंबर 2015
शैतान को पत्थर मारने के दौरान मची भगदड़ में 717 लोगों की मौत, 863 घायल