टोक्यो. भारतीय एग्जीक्युटिव निकेश अरोड़ा. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सैलरी. हर महीने वेतन और भत्ते वगैरह मिलाकर 102 करोड़ रुपए. जी हां. जापानी टेलिकॉम फर्म SoftBank ने प्रेसिडेंट और सीओओ के तौर पर निकेश को 20 महीने की नौकरी में करीब 2040 करोड़ रुपए दिए.
जापानी कंपनी सॉफ्टबैंक से इस्तीफा देने के बाद निकेश अरोड़ा का जो हिसाब निकला है उसके मुताबिक 20 महीने की नौकरी में कंपनी ने निकेश को वेतन, भत्ता वगैरह मिलाकर कुल 2040 करोड़ रुपये दिए यानि हर महीने 102 करोड़ रुपये.
सॉफ्ट बैंक जापानी टेलिकॉम कंपनी है जो पूरी दुनिया में नए-नए तरह के काम कर रहे एंटरप्रेन्योर फर्म में निवेश करती है. भारत में सॉफ्ट बैंक ने स्पैपडील डॉट कॉम, ओला कैब, हाउसिंग डॉट कॉम, ओवायो रूम्स जैसी कई कंपनियों में बड़ा निवेश कर रखा है.
बीएचयू से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं निकेश अरोड़ा
निकेश सॉफ्टबैंक से पहले गूगल में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और चीफ बिजनेस ऑफिसर के पद पर थे. 2014 में गूगल से रिजाइन करने के बाद अरोड़ा ने जापानी कंपनी सॉफ्टबैंक को बतौर प्रेसिडेंट और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ज्वाइन किया था. गूगल में वो करीब 10 साल रहे थे.
भारतीय वायुसेना के अधिकारी के घर पैदा हुए निकेश अरोड़ की शुरुआती पढ़ाई भारत में ही हुई. आईआईटी बनारस यानि बीएचयू से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ले चुके निकेश ने बॉस्टन कॉलेज और नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है.
दुनिया की सबसे बड़ी तीसरी पगार रही है निकेश के नाम
देश के सबसे अमीर उद्योगपति रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी अपनी कंपनी से हर साल मात्र 15 करोड़ रुपए वेतन लेते हैं. इस हिसाब से निकेश अरोड़ा की कमाई देखने पर समझ में आता है कि वो भारत के सबसे ज्यादा पगार वाले बिजनेस लीडर रहे.
अरोड़ा वेतन के मामले में भारत ही नहीं दुनिया भर में मशहूर हैं. 2015 में दुनिया के सबसे ज्यादा पगार वाले एग्जीक्युटिव में वो तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे.
उनसे ज्यादा पगार पूरी दुनिया में मात्र दो आदमी को मिल रही थी. पहले नंबर पर ग्रोप्रो इंक के संस्थापक सीईओ निकोलस वूडमैन थे और दूसरे नंबर पर थे लिबर्टी ग्लोबल के सीईओ माइकल टी फ्राइज़.