नई दिल्ली. अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया गया है जिससे भारतीय कंपनियां एच-1बी और एल-1 वर्क वीजा के तहत आईटी प्रोफेशनल्स को नौकरी नहीं दे सकेंगी. दो अमेरिकी सांसदों के एक ग्रुप ने निचले सदन में यह बिल एच-1बी व एल1 वीजा रिफार्म एक्ट 2016 रखा है. कानून बनने से पहले दोनों सदनों में पास होना जरूरी होगा.
न्यू जर्सी के डेमोक्रेट बिल पासरेल व कैलिफोर्निया से रिपब्लिकन सांसद डैना रोहराबाशर ये बिल लाए हैं. इन दोनों ही राज्यों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं. पासरेल का कहना है कि अमेरिका में ऊंची डिग्री वाले कई हाई-टेक पेशेवर तैयार हो रहे हैं लेकिन उनके पास नौकरियां नहीं हैं. विदेशी कर्मचारियों से काम करवा कर कई कंपनियां वीजा प्रोग्राम का दुरुपयोग कर रही हैं और अपने फायदे के लिए हमारे वर्कफोर्स की कटौती कर रही हैं.
50 से ज्यादा कर्मचारी वाली कंपनियों के उन लोगों को नौकरी देने पर रोक होगी जो एच-1बी वीजा पर अमेरिका काम करने आते हैं. भारतीय कंपनियों के लिए यह इसलिए चिंताजनक है कि ज्यादातर भारतीय कंपनियों में पचास प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी एच-1बी और एल1 वीजा धारक हैं. इनकी आय का ढांचा काफी हद तक एच-1बी और एल1 वीजा पर निर्भर रहता है.
अमेरिका के एच-1बी वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियां उन विदेशी कर्मचारियों को काम के लिए बुला सकती हैं जिन्हें किसी तरह की तकनीकी विशेषज्ञता हासिल है. इस वीजा के तहत एक अमेरिकी कंपनी विदेशी कर्मचारी को छह साल तक के लिए नौकरी पर रख सकती है.