कराची. पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी में काम करने वाले एक हिंदू पत्रकार ने कहा कि अपने मुस्लिम ‘बॉस’ से भेदभाव झेलने के बाद वह डिप्रेशन में चला गया है. पाकिस्तान की समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तानी (एपीपी) में काम करने वाले साहिब खान ओअद ने कहा कि उनकी यातनाएं तब शुरू हुई, जब पिछले मई महीने में उनके ब्यूरो प्रमुख और सहयोगियों को पता चला कि वह मुस्लिम नहीं, बल्कि हिंदू हैं, और उसमें भी दलित है.
बर्तन अलग कर दिए
उन्होंने कहा कि उनकी धार्मिक पहचान उजागर होने के बाद उनके ऑफिस में काफी स्थिति बदल गई. ओअद ने आरोप लगाया कि उनके ब्यूरो प्रमुख परवेज असलम ने उनसे ऑफिस में भोजन करने के लिए अलग बर्तन का इस्तेमाल करने को कहा.
ब्यूरो प्रमुख ने दी सफाई
उधर, एपीपी के ब्यूरो प्रमुख असलम ने उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को भ्रमित करने वाला और आधारहीन बताया. उन्होंने कहा कि धर्म को छोड़ दीजिए, अल्पसंख्यक सदस्यों के साथ किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होता. असलम ने इनकार किया कि उपनाम के कारण पहले ओअद को मुस्लिम समझने की भूल की गई थी. दरअसल ओअद के सभी साथी यह जानते थे कि वह हिंदू हैं, लेकिन किसी भी स्तर पर उनके साथ भेदभाव नहीं किया गया.
कब हुआ खुलासा
ओअद के अनुसार, उनके हिंदू होने का भेद तब खुला जब उन्होंने पिछले 29 मई को अपने साथियों को अपने एक बेटे का एक नाम राजकुमार बताया. वे हैरान हो गए और उनसे पूछा कि क्या वह हिंदू हैं? लेकिन ओअद ने साफ किया कि एपीपी के ऑफिस में उनके अन्य मुस्लिम साथियों को उनसे कोई शिकायत नहीं है. हालांकि कराची की बड़ी पत्रकार बिरादरी ने उन्हें नैतिक समर्थन भी दिया है, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि ‘बॉस’ मेरा बयान वापस लेने का दवाब बना रहे हैं.
कई लोगों ने रखा है अपना उपनाम ‘खान’
खान उपनाम रखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि रोजमर्रा जीवन में नियमित भेदभाव से बचने के लिए सिंध प्रांत में वह और कई हिंदू दलित अपना उपनाम खान रखते हैं. पाकिस्तान के तीन लाख हिंदुओं में अधिकांश सिंध प्रांत में ही रहते हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को हमेशा मुस्लिम आतंकियों से खतरा बना रहता है जो हिंदू महिलाओं का अपहरण करने के लिए जाने जाते हैं.