रोम. पोप फ्रांसिस ने कहा है कि समलैंगिक लोगों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता रहा है, उसके लिए ईसाइयों और रोमन कैथोलिक चर्च को खेद जताना चाहिए और उनसे माफी मांगनी चाहिए. अर्मेनिया से रोम वापस गए पोप से पूछा गया था कि क्या वे जर्मन कार्डिनल रीनहार्ड माक्र्स की इस टिप्पणी से सहमत हैं कि जिस तरह का व्यवहार चर्च ने समलैंगिक समुदाय के साथ किया है, उसके लिए उसे इस समुदाय से माफी मांगनी चाहिए.
पोप ने कहा, ‘हम ईसाइयों को सिर्फ समलैंगिक लोगों के साथ व्यवहार के लिए ही नहीं, बल्कि कई चीजों के लिए खेद व्यक्त करना चाहिए. हमें माफी मांगनी चाहिए. सिर्फ खेद नहीं जताना चाहिए, माफी मांगनी चाहिए.’ पोप ने कहा, ‘सवाल यह है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति उस स्थिति में है, जिसकी नीयत नेक है और जो ईश्वर में यकीन रखता है तो फिर उस पर फैसला करने वाले हम कौन होते हैं?
पोप ने समलैंगिकता के बारे में पहले बोले जा चुके अपने मशहूर कथन फैसला करने वाला मैं कौन होता हूं? को दोहराया. उनकी यह टिप्पणी उन संकेतों में से एक थी कि पोप फ्रांसिस के नेतृत्व में वेटिकन समलैंगिक समुदाय के प्रति ज्यादा मैत्रीपूर्ण रवैया अपनाएगा.
पोप की ये टिप्पणियों ओरलैंडो जनसंहार के महज दो सप्ताह बाद आई हैं. ओरलैंडो में समलैंगिक लोगों के क्लब में हुई गोलीबारी में 49 लोग मारे गए थे. पोप ने उस हमले की निंदा करते हुए उसे हिंसक मूर्खता और चेतनाशून्य घृणा करार दिया था.