बैंकॉक के टाइगर मंदिर में पर्यटन CLOSED, बाघों की विदाई शुरू

फेसबुक और इंटरनेट पर बाघ के साथ खेलते-खाते पर्यटकों की तस्वीर के लिए दुनिया भर में मशहूर थाइलैंड का टाइगर टेंपल अब पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है और यहां के सारे बाघ वन्य जीव विभाग के अधिकारी दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर रहे हैं.

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बैंकॉक के टाइगर मंदिर में पर्यटन CLOSED, बाघों की विदाई शुरू

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  • June 1, 2016 11:34 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
बैंकॉक. फेसबुक और इंटरनेट पर बाघ के साथ खेलते-खाते पर्यटकों की तस्वीर के लिए दुनिया भर में मशहूर थाइलैंड का टाइगर टेंपल अब पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है और यहां के सारे बाघ वन्य जीव विभाग के अधिकारी दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर रहे हैं.
 
15 साल पहले वाट पा लुआंग्टा बुआ यान्नासम्पानो यानी टाइगर टेंपल ने बौद्ध लोगों ने बाघ को ये कहकर पालना शुरू किया था कि आध्यात्मिक शांति हो तो आदमी और जानवर एक साथ रह सकते हैं. तब से बौद्धों के इस मंदिर और थाइलैंड सरकार के बीच कोर्ट में मामला चल रहा था.
 
137 बंगाल टाइगर हैं मंदिर में, सबको ब्रीडिंग सेंटर शिफ्ट किया जा रहा है
 
कोर्ट ने हाल ही में मंदिर के खिलाफ फैसला सुनाया और वन्य जीव विभाग को आदेश दिया कि वो सारे बाघों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट करे. मंदिर के खिलाफ वन्य जीव अधिकार की बात करने वाले संगठन और वन्य जीव विभाग लंबे समय से लड़ाई लड़ रहा था क्योंकि इनका मानना था कि पर्यटकों के सामने परेड कराकर उनके साथ साथ अत्याचार किया जा रहा है. 
 
वन्यजीव अधिकारियों ने टाइगर टेंपल के करीब 100 बाघों को अपने कब्जे में ले लिया है. इस मंदिर में 137 बाघ होने का अनुमान है. अधिकारियों का कहना है कि सारे बाघों को बेहोश करके शिफ्ट किया जा रहा है और इस काम में करीब एक सप्ताह का वक्त लग सकता है. इन बाघों को देश के दो दूसरे बाघ ब्रीडिंग सेंटर में भेजा जा रहा है. 
 
जंगल में नहीं छोड़ सकते क्योंकि इन बाघों की परवरिश वैसी नहीं है
 
वन्य जीव अधिकारियों का कहना है कि इन बाघों को वापस जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि बौद्ध मंदिर में पैदा और पले-बढ़े ये बाघ जंगली जन-जीवन के आदी नहीं हैं. इसलिए सबसे मुफीद यही है कि इन्हें ब्रीडिंग सेंटर में भेजा जाए. दूसरी बात ये है कि ये सारे बाग बंगाल टाइगर प्रजाति के हैं जब थाइलैंड के बाघ दूसरी प्रजाति के हैं.
 
मंदिर के पूर्व कर्मचारियों और एनिमल राइट ग्रुप्स ने आरोप लगाया था कि मंदिर में बाघों को पीटा जाता है, बेकार खाना दिया जाता है और कंक्रीट के छोटे पिंजरों में रखा जाता है. कुछ ने तो ये आरोप भी लगाया था कि कुछ बौद्ध भिक्षु अवैध रूप से बाघों की तस्करी में शामिल हैं.
 
फ्रीजर में मिले बाघ के 40 बच्चों के शव, तस्करी के आरोपों को बल मिला
 
मंदिर में जांच के दौरान वन्य जीव अधिकारियों को 40 बाघ के बच्चों के शव एक फ्रीजर में बंद मिले हैं जिससे तस्करी के आरोपों को दम मिलता दिख रहा है. हालांकि मंदिर ने कहा है कि पहले बाघ के बच्चों को मरने पर दफनाया जाता था लेकिन बाद में उन्हें फ्रीजर में रखा जाने लगा.

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