सरबजीत के बाद पाक जेल में भारतीय कैदी किरपाल की संदिग्ध मौत

पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैद एक भारतीय कैदी की रहस्यमयी हालत में मौत हो गई है. मृतक पंजाब के गुरदासपुर का रहने वाला किरपाल सिंह था. पचास वर्षीय किरपाल सिंह 1992 में बाघा सीमा पार पाकिस्तान चला गया था. वहां उसे जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके अलावा किरपाल को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बम विस्फोटों के आरोप में अदालत ने मौत की सजा सुनाई गई थी.

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सरबजीत के बाद पाक जेल में भारतीय कैदी किरपाल की संदिग्ध मौत

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  • April 12, 2016 7:30 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
लाहौर. पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैद एक भारतीय कैदी की रहस्यमयी हालत में मौत हो गई है. मृतक पंजाब के गुरदासपुर का रहने वाला किरपाल सिंह था. पचास वर्षीय किरपाल सिंह 1992 में बाघा सीमा पार पाकिस्तान चला गया था. वहां उसे जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके अलावा किरपाल को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बम विस्फोटों के आरोप में अदालत ने मौत की सजा सुनाई गई थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लाहौर हाईकोर्ट ने किरपाल को बम विस्फोटों के आरोप से बरी कर दिया था, लेकिन उसकी मौत की सजा अज्ञात कारणों से कम नहीं की जा सकी.
 
‘मरने से पहले सीने में दर्द की शिकायत’
थाना प्रमुख नफास अहमद ने मामले में जानकारी देते हुए कहा कि किरपाल को अगली सुबह अपनी बैरक में मृत पाया गया. जिसके बाद उसका शव पोस्टमार्टम के लिए लाहौर के जिला अस्पताल में भेजा गया है. इसके अलावा किरपाल की मौत के बारे में जेल के अन्य कैदियों के बयान के लिए मजिस्ट्रेट को बुलाया गया था. अधिकारी का कहना है कि उसके पड़ोस की बैरक में बंद कैदियों ने उन्हें बताया कि किरपाल ने मरने से पहले सीने में दर्द की शिकायत की थी.
 
बहन जगीर कौर  की अपील
किरपाल की  बहन जगीर कौर ने कहा था कि उनका परिवार आर्थिक तंगी की वजह से उनकी रिहाई की आवाज नहीं उठा सका और उनके मामले को उठाने के लिए कोई नेता आगे नहीं आया. उन्होंने यह भी कहा कि हमने 24 साल उसका इंतजार किया है. हमें नहीं मालूम की मौत कैसे हुई. उन्होंने अपील करते हुए यह भी कहा कि कम से कम उन्हें उनके भाई का शव मिलना चाहिए.
 
इसी जेल में सरबजीत की भी हुई थी मौत
इससे पहले अप्रैल 2013 में एक अन्य भारतीय सरबजीत सिंह पर लाहौर के इसी जेल में कैदियों ने हमला किया था. जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी. सरबजीत को फैसलाबाद, मुलतान और लाहौर में बम धमाकों के आरोप में फंसाकर फांसी की सजा सुनाई गई थी.

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