‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की काफी गुंजाइश है’

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम कहाम्बा कुटेसा ने कहा है कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों में इसमें सुधार की काफी भूख दिख रही है, जिस प्रक्रिया का भारत लगातार समर्थन कर रहा है। कुटेसा ने महासभा के मौजूदा सत्र की समाप्ति पर दशक भर लंबे गतिरोध के बाद सफलता मिलने की आशा जताई.

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‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की काफी गुंजाइश है’

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  • April 24, 2015 1:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

संयुक्त राष्ट्र. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम कहाम्बा कुटेसा ने कहा है कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों में इसमें सुधार की काफी भूख दिख रही है, जिस प्रक्रिया का भारत लगातार समर्थन कर रहा है। कुटेसा ने महासभा के मौजूदा सत्र की समाप्ति पर दशक भर लंबे गतिरोध के बाद सफलता मिलने की आशा जताई.

कुटेसा ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि सुधार की प्रक्रिया यानी अंतर सरकारी बातचीत (आईजीएन) ने वार्ता दस्तावेज को लेकर महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो कि सुधार की राह में मुख्य बाधा रही है. उन्होंने कहा कि आईजीएन के अध्यक्ष तथा जमैका के राजदूत कोर्टनी रात्रे की तरफ से मार्च में वितरित किए गए दस्तावेज की रूपरेखा पर प्रतिक्रिया मिली है और वे इसका मिलान कर रहे हैं. कुटेसा ने रात्रे की नियुक्ति के साथ सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी और वह निजी रूप से अगुवाई के मौजूदा चरण को आगे बढ़ा रहे हैं, जो कि 2005 में विश्व नेताओं के सम्मेलन में शुरू हुआ, , लेकिन सुधार संबंधित चर्चा के आधार पर कुछ देशों ने बातचीत के दस्तावेज में रोड़े अटका दिए थे. 

कुटेसा ने कहा, “मैंने लोगों में इसको लेकर भूख देखी है जो दस्तावेज के साथ आगे आना चाहते हैं और बातचीत की शुरुआत कर सकते हैं. और यह सुझाव है कि उनकी एक दस्तावेज को लेकर सहमति होनी चाहिए.” इटली के नेतृत्व में युनाइटिंग फॉर कंसेन्सस के नाम से प्रचलित देशों ने सुधार प्रक्रिया रोक रखी है. उनका जोर है कि बातचीत के दस्तावेज पेश किए जाने से पहले मुद्दों पर सहमति बने. उन्होंने कहा, “सुधार की भूख की बात करूं तो मैंने इसे प्रत्यक्ष देखा है. पहली मुलाकात में सदस्य देशों का 80 फीसदी योगदान मिला है और 60 फीसदी से अधिक ने बातचीत की विषय-वस्तु पर बात की है.”

अगर सुरक्षा परिषद का विस्तार होता है तो स्थायी सदस्यता को लेकर भारत पर सबसे पहली बार विचार किया जाएगा. कुटेसा ने कहा कि 70 साल पहले संयुक्त राष्ट्र का गठन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद किया गया था, जिसमें काफी बदलाव हुआ है और इसके सदस्यों की संख्या 51 से 193 हो गई है. उन्होंने कहा, “परिषद को लोकतांत्रिक बनाना और विभिन्न क्षेत्रों का इसमें प्रतिनिधित्व जरूरी है. यह सुरक्षा परिषद के उद्देश्य को पूरा करने में मदद करेगा.”

IANS

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