Balochistan Protests: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक 11 साल की बच्ची जोया बलूच आज सुर्खियों में छाई हुई है. अपनी छोटी सी उम्र में जोया ने वह कर दिखाया है जो बड़े-बड़े नेता करने में हिचकते हैं. उसने पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जिससे इस्लामाबाद की सत्ता में हलचल मच गई है. जोया के जोशीले भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. और उसकी आवाज बलूचिस्तान की आजादी की मांग को नई ताकत दे रही है.

जोया बलूच कौन है?

जोया बलूच महज 11 साल की है और वह बलूच कार्यकर्ता जहीर बलूच की बेटी है. जहीर बलूच 2015 में पाकिस्तान के हब सिटी से रहस्यमयी तरीके से गायब हो गए थे. उनके परिवार का दावा है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने उनका अपहरण किया और तब से उनका कोई अता-पता नहीं है. जहीर के समर्थन में क्वेटा से कराची तक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. पहले इस आंदोलन की अगुआई जहीर की बहन करती थीं लेकिन अब जोया ने यह जिम्मेदारी संभाल ली है. वह हर प्रदर्शन में अपने पिता को वापस लाने की मांग करती है और अपनी मासूम लेकिन दमदार आवाज से लोगों को प्रेरित कर रही है.

मंच से गूंजती नन्ही आवाज

जोया के भाषणों ने पाकिस्तान सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. एक वायरल वीडियो में जोया कहती है. ‘हमें दहशतगर्द कहा जा रहा है लेकिन असली दहशतगर्द तो सत्ता में बैठे हैं. हमारे लोगों को घरों से उठाया जा रहा है उसका जवाब कौन देगा?’ वह ज्यादातर अपने भाषण बलूच भाषा में देती है जो स्थानीय लोगों के दिलों को छू जाता है. प्रदर्शन के दौरान जोया अपने पिता जहीर की तस्वीर वाला पोस्टर हाथ में थामे नजर आती है. उसका कहना है ‘मैं जिस उम्र में पढ़ना चाहती थी उस उम्र में अपने पिता को खोज रही हूं. यह कैसा देश है?’ उसकी यह बात न केवल बलूचिस्तान बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है.

बलूच आंदोलन को नई धार

बलूचिस्तान में आजादी की मांग लंबे समय से चल रही है लेकिन जोया की मौजूदगी ने इस आंदोलन को नया जोश दिया है. समी दीन और महरंग बलूच की गिरफ्तारी के बाद जोया इस मूवमेंट का चेहरा बनकर उभरी है. वह लगातार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख पर हमला बोल रही है. बलूच नेताओं का मानना है कि जोया के जरिए यह आंदोलन अब और मजबूत होगा. दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) भी सेना के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में जुटी है. बलूच मूवमेंट के नेताओं का कहना है कि पाकिस्तान संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है और लोगों को घरों से उठाकर गायब कर रहा है.

पाकिस्तान पर बढ़ता दबाव

1948 में पाकिस्तान का हिस्सा बने बलूचिस्तान में दशकों से दमन और अत्याचार की कहानियां सामने आती रही हैं. जोया के भाषणों ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ला दिया है. संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशंस) ने भी बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर पाकिस्तान की आलोचना की है. जोया की मौजूदगी ने न केवल बलूच जनता को एकजुट किया है बल्कि पाकिस्तानी सरकार की नींद भी उड़ा दी है. उसकी छोटी उम्र और साहस ने दुनिया का ध्यान इस ओर खींचा है कि बलूचिस्तान में हालात कितने गंभीर हैं.

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