नई दिल्ली: शरिया कानून के तहत लोगों को फांसी दी जा रही है और इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस कारण प्रिंस मोहम्मद को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद आलम यह है कि इस्लामिक देश में इस साल 7 महीनों में ही 106 लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. वहीं बीते गुरुवार को भी ड्रग तस्करी के मामले में आंतरिक मंत्रालय ने दो व्यक्तियों को मौत की सजा सुनाई हैं।
गुरुवार के दिन हुई दो लोगों की मौत में से एक व्यक्ति का नागरिक था, जिसे एम्फेटामिन तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दूसरे नागरिक का संबंध पाकिस्तान से था, जिसे हेरोइन की तस्करी के लिए फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद बर्लिन स्थित यूरोपीय-सऊदी मानवाधिकार संगठन ने सऊदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि “सरकार का ऐसे 196 दिनों में 100 लोगों को मौत की सजा सुनना, फांसी की सजा को साधारण सजा के इरादे को दर्शाती है. लगभग हर दो दिन में एक फांसी आधिकारिक कानून और प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करता है”. वहीं अधिकारियों का मानना है कि पब्लिक ऑर्डर को बरकरार रखने के लिए फांसी की सजा सुनना ज़रूरी है. देश में ऐसी सख्त सजाएं सुनना किंग सलमान के विज़न 2030 पर गहरा प्राभव डाल सकती है.
सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दावा किया है कि वह सऊदी में बदलाव ला रहे है और इस्लामिक रूढ़िवादी छवि को बदलने की राह पर है. बता दें, सऊदी अरब एक ऐसा देश है जहाँ पर दुनिया में सबसे ज्यादा मौत की सजा दी जाती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2023 में 172 लोगों को फांसी की सज़ा सुनाई गयी थी.
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