नई दिल्ली. दिल्ली में प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए ऑड और इवन नंबर की गाड़ियों के 1 जनवरी से अल्टरनेट दिन चलने के फैसले पर हम चौंक जरूर रहे हैं लेकिन दुनिया के कई शहरों और देश में पहले से ऐसी व्यवस्था है. चीन ने इसी फॉर्मूले से बीजिंग में प्रदूषण को 40 परसेंट कम भी कर लिया.
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अल्टरनेट डे ड्राइविंग को तकनीकी तौर पर रोड स्पेस राशनिंग कहा जाता है यानी सड़क पर जो जगह है उसे इस्तेमाल करने की सुविधा को नियंत्रित करना. दुनिया के कुछ देश और शहर इस फॉर्मूले से प्रदूषण पर लगाम लगा रहे हैं तो कुछ देश इससे तेल की खपत कम कर रहे हैं ताकि उनकी अर्थव्यवस्था पर तेल आयात का बोझ कम हो.
लातिन अमेरिकी देशों में आम है रोड स्पेस राशनिंग
लैटिन अमेरिकी देशों में प्रदूषण रोकने के लिए रोड स्पेस राशनिंग आम है. मेक्सिको की राजधानी मैक्सिको सिटी, चिली की राजधानी सैन्टियागो, ब्राजील के साओ पाउलो शहर में 1996 में प्रदूषण रोकने के लिए इस तरह की नीति पर अमल किया गया था और उसके शानदार नतीजों के बाद 1997 से इसे स्थायी नियम बना दिया गया.
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चीन की राजधानी बीजिंग में 2008 ओलंपिक के दौरान अल्टरनेट डे ड्राइविंग का फैसला लिया गया था ताकि सड़कों पर वाहनों में कमी लाकर प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सके. इस फॉर्मूले के बाद बीजिंग में ट्रैफिक और प्रदूषण कम करने के लिए कई तरह की नीतियां शुरू की गईं.
बीजिंग में रोड स्पेस राशनिंग से प्रदूषण में 40 फीसदी कमी
इन नीतियों में बीजिंग के रिंग रोड पर ओड और इवन नंबर के हिसाब से गाड़ियां अलग-अलग दिन ही आ पाती हैं. इसके अलावा भी कई सड़कों पर ट्रैफिक को इसी तरह की मिलती-जुलती व्यवस्था से कंट्रोल किया गया है. बीजिंग में इन नीतियों पर अमल के बाद ट्रैफिक में कमी तो आई ही, साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी 40 परसेंट की कमी दर्ज की गई.
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कोस्टारिका, होनडुरस जैसे कई देशों ने 2003 के बाद से रोड स्पेस राशनिंग का इस्तेमाल प्रदूषण के साथ ही तेल की खपत घटाने में किया है क्योंकि तेल आयात के कारण इन देशों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा था. बोलीविया के ला पाज़ शहर, इक्वाडोर की राजधानी क्विटो और कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में भी इस तरह की ट्रैफिक नीतियां लागू हैं.
फ्रांस की राजधानी पेरिस में जब कभी प्रदूषण हद से ज्यादा बढ़ जाता है उस समय इसी तरह से रोड राशनिंग कर दी जाती है. 2014 और 2015 में पेरिस में अल्टरनेट डे ड्राइविंग लगाया जा चुका है.
क्या है रोड स्पेस राशनिंग ?
सड़क सीमित है लेकिन गाड़ियां असीमित इसलिए बहुत ज्यादा गाड़ियों वाले शहर में रोड स्पेस राशनिंग के जरिए शहर की गाड़ियों को अल्टरनेट दिन सड़क पर उतारने दिया जाता है. इसके जरिए एक तो सड़क पर ट्रैफिक जाम की समस्या को कंट्रोल किया जाता है तो दूसरी ओर प्रदूषण के लेवल में कमी लाई जाती है.
इसके लिए नंबर प्लेट के आखिरी नंबर के आधार पर ऑड और इवन नंबर को पैमाना बनाया जाता है और पहले ही बता दिया जाता है कि हफ्ते के इस दिन सिर्फ ऑड नंबर से खत्म होने वाले नंबर प्लेट की गाड़ियां सड़कों पर आएंगी और हफ्ते के इन दिनों में इवन नंबर से खत्म होने वाले नंबर प्लेट वाली गाड़ियां.
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