रक्का. रूस पर आरोप लगा है कि उसने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट(ISIS) से पर जारी बमबारी में रासायनिक हथियारों का भी इस्तेमाल किया है. मानवाधिकार संस्थाओं के मुताबिक रूस ने ISIS के गढ़ माने जाने वाले रक्का शहर पर रासायनिक हथियारों से हमला किया है जो कि जिनेवा कन्वेंशन के मुताबिक गैरकानूनी है.
रक्का शहर पर किया गया है हमला
ख़बरों के मुताबिक रूस ने रक्का के दो इलाकों को टारगेट कर आसमान से सफेद फॉस्फोरस का हमला किया है. बताया जा रहा है कि इस हमले में बगदादी के कई लड़ाकों की मौत हो गई है. इससे पहले रूस क्रूज मिसाइल से बगदादी के ठिकानों पर हमला कर रहा था लेकिन अब रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल से आतंक के खिलाफ ये लड़ाई नई मोड़ पर पहुंच गई है. सीरिया में पिछले दो महीनों से रूस लगातार ISIS की अघोषित राजधानी को निशाना बना रहा है, लेकिन इस बार रूस ने जिसतरह रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है उसमें मानवाधिकार संस्थाओं का दावा है कि इस हमले से ISIS के लड़ाकों की तुलना में आम शहरियों की ज्यादा मौत हुई है.
रूस पर जिनेवा कन्वेंशन के उल्लंघन का आरोप
रूस पर जेनिवा कन्वेंशन के उल्लंघन का भी आरोप लगने लगा है। रूस पर ये आरोप खतरनाक रासायनिक हथियार व्हाइट फॉसफोरस के इस्तेमाल के चलते लग रहा है. कईयों का दावा है कि रूस उत्तर-पश्चिमी सीरिया में गैरकानूनी रूप से व्हाइट फॉसफोरस का इस्तेमाल कर रहा है. जेनिवा कन्वेंशन के नियमों के मुताबिक व्हाइट फॉसफोरस का इस्तेमाल गैरकानूनी है क्योंकि ये हड्डी और स्किन को जला देता है.
हमलों के पीछे खुद बगदादी तो नहीं!
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूस को आईएस या बगदादी जैसों से निपटने के लिए जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन करके कहीं सफेद फॉस्फोरस बरसाने की जरूरत नहीं है. इन एक्सपर्ट्स को शक है कि बगदादी खुद ऐसा करके दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रहा है कि उसके पास इस तरह का रसायनिक हमला करने की ताकत है.
एजेंसी इनपुट भी