नई दिल्ली: अपराध को अंजाम देने वालों की उम्र का कोई दायरा नहीं होता। आपराधिक मानसिकता रखने वाले ऐसे लोग किसी भी उम्र के हो सकते हैं आज के समय में बच्चों और संगीन जुर्म से जुड़े ग्राफ़ में तेज़ी से इज़ाफ़ा देखा जा रहा है. आलम ऐसा है कि जुर्म के पीछे छोटे- छोटे […]
नई दिल्ली: अपराध को अंजाम देने वालों की उम्र का कोई दायरा नहीं होता। आपराधिक मानसिकता रखने वाले ऐसे लोग किसी भी उम्र के हो सकते हैं आज के समय में बच्चों और संगीन जुर्म से जुड़े ग्राफ़ में तेज़ी से इज़ाफ़ा देखा जा रहा है. आलम ऐसा है कि जुर्म के पीछे छोटे- छोटे कारण भी देखने को मिल रहे हैं.
दिल दहला देने वाला यह मामला यूएस से निकल कर सामने आया है. यूएस के मिलवॉकी (Milwaukee) शहर में एक 10 साल के बच्चे ने अपनी माँ को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. इस क़त्ल के पीछे जो वजह सामने आई है वह काफी हैरान कर के रख देने वाला है.
इस मामले में आरोपी बच्चे ने कबूल किया है कि उसने अपनी माँ का क़त्ल महज इस बात के चलते कर दिया क्योंकि उसकी माँ ने उसे वीआर हेडसेट ख़रीदकर नहीं दिया था. बताया जा रहा है कि बच्चे ने अपने बयान में कई मर्तबा फेर-बदल भी की लेकिन आखिर में आरोपी बच्चे ने वजह को कबूल कर लिया।
आरोपी बच्चे ने शुरूआत में पुलिस को बयान दिया था कि गोली अचानक से चल गई थी. बाद में बच्चे ने कहा कि उसने होशो-हवास में अपनी माँ पर गोली दागी थी. इस 10 साल के बच्चे पर बतौर बालिग़ की ही तरह जानबूझकर गुनाह करने का इल्ज़ाम लगाए गया है.
आरोपी बच्चे की इस वारदात को अंजाम देने के बाद उसके घरवालों का कहना है कि बच्चे की ज़हनी हालत सही नहीं है. इस मामले में चाहे तो आरोपी बच्चे के वकील चाइल्ड कोर्ट में भी याचिका दायर कर सकते हैं. फ़िलहाल आरोपी बच्चे से पुलिस पूछताछ कर रही है.
इस मामले में आरोपी बच्चे ने अफ़सरान को बताया कि अपनी माँ के कमरे से उसे हथियार मिला था. जिसके बाद उसने अपनी माँ पर बंदूक तान दी. अपनी माँ पर गोली दागने के बाद आरोपी बच्चे ने माँ के अमेज़न खाते में लॉग इन किया और अपनी पसंद का वर्चुअल रियलिटी हेडसेट को ऑनलाइन ऑर्डर कर दिया.
बता दें, इस मामले में आरोपी बच्चे को अपनी माँ की मौत का कोई पछतावा नहीं है. बच्चे के रिश्तेदारों का कहना है कि अपनी माँ के साथ ऐसी घटना करने के बाद भी उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है और वह एक बार भी नहीं रोया….न ही उसे इसका पछतावा है. वहीं आरोपी बच्चे के वकील ने कहा कि, “यह एक दुःख की बात है. 10 साल के बच्चे की तमाम ख्वाहिशों व ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अडल्ट (जस्टिस) सिस्टम ठीक नहीं है.