महान स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस को 11 अगस्त 1908 को फांसी दी गई थी. उनकी याद में 11 अगस्त को शहादत दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

3 दिसम्बर 1889 को मिदनापुर के पास हबीबपुर गांव में खुदीराम का जन्म हुआ था. उनके पिता स्टेट के तहसीलदार थे.

30 अप्रैल, 1908 को खुदीराम ने अत्याचारी  न्यायाधीश किंग्सफोर्ड को बम से उड़ाने की असफल कोशिश की थी.

इस मामले में अदालत ने उनको फांसी की सजा सुनाई. 11 अगस्त 1908 को करीब 18 साल की उम्र में खुदीराम को फांसी दी गई.

कहा जाता है कि श्मशान घाट पर खुदीराम बोस की अस्थियों की राख पाने के लिए लोग बेचैन थे.

अंतिम संस्कार के बाद लोग डिब्बियों में उनकी राख को संजो रहे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, माओं ने अपने बच्चों को खुदीराम बोस की चिता की राख से ताबीज बनाकर दिए. ताकि वो खुदीराम बोस जैसे बहादुर बनें.