महाराणा प्रताप के लिए इस मुस्लिम योद्धा ने अपना सिर कटा लिया।
महाराणा प्रताप अफगान योद्धा हकीम खां सूरी पर खुद से ज्यादा भरोसा करते थे।
उन्होंने महाराणा प्रताप के लिए अपने जान की बाजी लगा दी थी।
हकीम खां सूरी शेरशाह सूरी के वंशज थे, वो महाराणा प्रताप के तोपखाने के प्रमुख थे।
18 जून 1576 को हुए हल्दीघाटी युद्ध में उन्होंने महाराणा प्रताप की सेना का नेतृत्व किया था।
38 साल के इस अफगानी पठान ने अकबर की सेना को भागने पर मजबूर कर दिया था।
हालांकि वो युद्ध के अंत में अपनी जान गंवा बैठे और मुगलों ने उनके सिर को काट दिया था।
हकीम खां सूरी को पीर का दर्जा दिया गया है।