जानें आखिर क्या था ब्रिटेन का वो जानलेवा ब्लड स्कैंडल
सरकार ने गलतियों को छुपाया जिसके कारण हजारों लोग एचआईवी या हेपेटाइटिस से संक्रमित हुए. यह ब्लड स्कैंडल राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के इतिहास में एक बदनुमा दाग बन गया है.
70 और 80 के दशक के दौरान, रक्त का थक्का जमने की बीमारी हीमोफीलिया से पीड़ित हजारों लोगों को एचआईवी वायरस से संक्रमित लोगों द्वारा दान किया गया
70 के दशक की शुरुआत में, एनएचएस ने हीमोफिलिया के लिए फैक्टर VIII नामक एक नए उपचार का उपयोग शुरू किया.
रक्त प्राप्त करने वाले 2,400- 5,000 लोग हेपेटाइटिस सी का शिकार हुए. सटीक आंकड़ा अभी तक ज्ञात नहीं है,
हीमोफीलिया केंद्रों में डॉक्टर जिन रक्त उत्पादों का उपयोग करते थे, उनके दूषित होने की पूरी आशंका थी, फिर भी इसका इस्तेमाल किया गया.
1974 और 1987 के बीच ट्रेलोर कॉलेज में पढ़ने वाले 122 विद्यार्थियों में से 75 की अब तक एचआईवी और हेपेटाइटिस सी संक्रमण से मृत्यु हो चुकी है.
सबूतों से पता चलता है कि ब्रिटिश सरकार ने मुख्य रूप से वित्तीय कारणों से स्थिति से आंखें मूंद लीं.