WMO के पूर्वानुमानों के अनुसार, लगभग 55% संभावना के साथ, फरवरी-अप्रैल 2025 के दौरान ENSO-तटस्थ स्थितियों की वापसी फिर से होने की संभावना है. ला नीना मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में गिरावट को संदर्भित करता है.
नई दिल्ली: देशभर में मौसम लगातार बदल रहा है. उत्तर भारत में ठंड बढ़ती जा रही है. इस बीच विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने ला नीना की स्थिति को लेकर पूर्वानुमान दिया है. WMO ने बुधवार को कहा कि अगले तीन महीनों में ला नीना की स्थिति विकसित हो सकती है. यह चरण कमज़ोर और अल्पकालिक होने की उम्मीद है। ला नीना स्थितियों में संक्रमण की 55% संभावना होती है.
WMO के पूर्वानुमानों के अनुसार, लगभग 55% संभावना के साथ, फरवरी-अप्रैल 2025 के दौरान ENSO-तटस्थ स्थितियों की वापसी फिर से होने की संभावना है. ला नीना मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में गिरावट को संदर्भित करता है. ला नीना एक जलवायु घटना है जो तब घटित होती है जब मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान नीचे होता है. यह हवाओं,वर्षा और दबाव से भी जुड़ा है. ला नीना की विशेषता मजबूत मानसून, औसत से अधिक वर्षा और गंभीर सर्दियां हैं. ला नीना का 55 % प्रभाव इन स्थितियों में फर्क ला सकता है. माना जा रहा है कि इस बार दिसंबर, जनवरी और फरवरी में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है. दूसरी ओर, एल नीनो इसके विपरीत है. भारत में अल नीनो का संबंध तेज़ गर्मी और कमज़ोर मानसून से है.
WMO के मुताबिक, ला नीना और अल नीनो के कारण वैश्विक तापमान बढ़ रहा है. इसका असर मौसमी बारिश और तापमान पैटर्न पर पड़ रहा है. WMO के महासचिव सेलेस्टे साउलो के मुताबिक साल 2024 की शुरुआत अल नीनो से हुई थी. ऐसे में यह अब तक का सबसे गर्म साल भी हो सकता है. सेलेस्टे सौलो के अनुसार, मई के बाद से हमने अल नीनो या ला नीना स्थितियों की अनुपस्थिति के बावजूद, चरम मौसम की घटनाओं भी देखी है. जिसमें रिकॉर्ड बारिश और बाढ़ भी शामिल है. कई मौसम मॉडल इस साल जुलाई से ला नीना के उद्भव की भविष्यवाणी कर रहे हैं, लेकिन वे सभी बार-बार गलत साबित हुए हैं.
Also read…