मर-मर कर जी रही है इस गांव की महिलाएं, जानिए क्या है राज

महाराष्ट्र: इस गांव की महिलाएं एक बाल्टी पानी के लिए हर रोज अपनी जान जोखिम में डाल रही है. बता दें कि एक कुएं के पास हजारों महिलाएं अपनी जान को जोखिम में डालकर कुएं के किनारे पड़ खड़ी हैं. एक बाल्टी पानी के लिए अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ता है हर रोज […]

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मर-मर कर जी रही है इस गांव की महिलाएं, जानिए क्या है राज

Deonandan Mandal

  • June 10, 2022 10:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

महाराष्ट्र: इस गांव की महिलाएं एक बाल्टी पानी के लिए हर रोज अपनी जान जोखिम में डाल रही है. बता दें कि एक कुएं के पास हजारों महिलाएं अपनी जान को जोखिम में डालकर कुएं के किनारे पड़ खड़ी हैं.

एक बाल्टी पानी के लिए अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ता है हर रोज

देश चाहे कितना भी आगे क्यों न बढ़ जाए लेकिन हमारे देश में आज भी बहुत से गांव ऐसे हैं जहां के लोगों को एक बाल्टी पानी तक के लिए हर रोज़ अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ता है. महाराष्ट्र से एक वीडियो सामने आया है जिसे देखकर आपका दिल दहल जाएगा. इस वीडियो में हमारे भविष्य यानि आने वाले कल की एक झलक दिखती है. इस वीडियो को देखकर आप भी ये समझ जाएंगे कि आने वाले दिन में हम सबका भी ऐसा ही हाल हो सकता है. दरअसल इस वीडियो में पूरी गांव की महिलाएं बड़ी संख्या में एक-एक बाल्टी पानी लेने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर कुएं के किनारे पड़ खड़ी हैं.

इस गांव में दो ही कुएं हैं

यह वीडियो महाराष्ट्र के खाडियल गांव का है जो कि मेलघाट में पड़ता है. खासकर इस गांव की महिलाएं एक-एक बाल्टी पानी के लिए हर रोज़ अपनी जान को जोखिम में डालती है. गांव वाले ने कहा है कि सिर्फ दो ही कुएं हैं और दोनों ही सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. 1500 लोगों की आबादी वाले इस गांव के सभी सभी लोग इन्हीं दो कुओं पर निर्भर हैं. गांव में सिर्फ 2 से 3 पानी के टैंकर ही आते हैं, उन्हीं से लोगों को अपना गुजारा करना पड़ता है.

गांव वालों ने कहा है कि टैंकर के पानी को इसी दो कुएं में डाल दिया जाता है. जिसके बाद सभी लोग अपने जान को मुसीबत में डालकर पानी निकालते हैं. सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि इतनी भीड़ लेकर आना और इतना ही नहीं इसके बाद पानी को साफ भी करना होता है. उस पानी में से मिट्टी को अलग करना होता है फिर जाकर वो पानी पीने लायक होता है.

ट्विटर पर जब लोगों ने पानी की ऐसी किल्लत से जूझते देखा तो उन्हें गुस्सा आ गया. कुछ लोगों नो कहा कि विकास बस सीमित होकर रह गया है और यह भी कहा कि 21वीं सदी में भी पानी ना मिलना सर्म की बात है.

 

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