नई दिल्ली. महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के बाद संसद सत्र के दौरान दो महत्वपूर्ण मुद्दे उठे हैं. एक है राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जो पूरे विपक्ष को एकजुट करेगा. दूसरा मुद्दा है इंडिया गठबंधन का नेता बदलने की मांग जो विपक्ष में बिखराव करेगा. दोनों मुद्दे एक ही दिन उठे जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्ष में कितना अंतर्विरोध है. टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी या उनकी पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी यह मांग करते हैं तो बात समझ में आती है लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने जिस तरह से विपक्षी गठबंधन का नेता बदलने की मांग की है उसके बाद सवाल पूछे जा रहे हैं कि 10 जनपथ के नजदीकी और विश्वासपात्र ने यह मांग क्यों की?
दरअसल राजनीति संभावनाओं का खेल है और इसमें रिश्तों से ज्यादा मायने रखती है जमीनी हकीकत. यह बात सही है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के निजी रिश्ते बहुत अच्छे हैं. लालू ने सोनिया का साथ तब दिया था जब विदेशी मूल के होने के नाते उन्हें पीएम बनने से रोकने के लिए मुहिम चली थी. लालू ही वो नेता थे जिन्होंने सोनिया गांधी का जमकर साथ दिया था. इसके बाद यूपीए वन में वह रेल मंत्री रहे लेकिन जैसे ही यूपीए टू में उनकी संख्या कम हुई तो मंत्री पद चला गया.
इसके बावजूद दोनों नेताओं के निजी संबंध अच्छे रहे. लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता के लिए मुहिम की शुरुआत सीएम नीतीश कुमार ने शुरू की थी और लालू यादव उनको लेकर सोनिया के पास पहुंचे थे लेकिन तालमेल नहीं बैठा और नीतीश रुठकर वापस एनडीए के आ गये. कहा जाता है कि लालू सामने से नीतीश के साथ दिखते थे लेकिन पर्दे के पीछे सोनिया गांधी को सलाह देते थे की नीतीश को ज्यादा भाव देना ठीक नहीं.
लालू यादव ने यही फार्मूला अब सोनिया गांधी पर भी लागू कर दिया है. अगेल साल के अंत में बिहार विधानसभा का चुनाव है. उनकी पूरी कोशिश है कि किसी तरह उनका बेटा तेजस्वी यादव सीएम बन जाए. कांग्रेस और राजद विपक्षी गठबंधन में हैं. दोनों चाहते हैं कि गठबंधन मजबूत रहे ताकि मोदी सरकार की घेराबंदी मजबूत रहे लेकिन बिहार में सीटों को लेकर दोनों दलों में मतभेद हैं. लालू यादव नहीं चाहते कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ज्याद सीटों पर लड़े. इसके लिए कांग्रेस को कमजोर रखना होगा लिहाजा लालू यादव इंडिया गठबंधन का नेता ममता बनर्जी को बनाने की पैरवी कर रहे हैं.
कांग्रेस जैसे ही हरियाणा विधानसभा चुनाव हारी थी, महाराष्ट्र और झारखंड में उसकी बार्गेनिंग क्षमता घट गई. लालू यादव चाहते हैं कि कांग्रेस जितना कमजोर रहेगी उतना ही उसे दबाया जा सकेगा. बेशक मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी के अध्यक्ष हैं लेकिन कमान राहुल गांधी के हाथों में है लिहाजा लालू ने मौका देखकर चौक्का मार दिया. कांग्रेस ममता को इंडिया गठबंधन का नेता कभी स्वीकार नहीं करेगी. उसका मानना है कि उसके पास 100 लोकसभा सांसद हैं, तीन राज्यों में उसकी सरकार है. विस्तार और प्रभाव के लिहाज से कोई भी क्षेत्रीय पार्टी उसका मुकाबला नहीं कर सकती है जबकि क्षेत्रीय पार्टी विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस को कमतर आंक रही हैं.
कहने को आम आदमी पार्टी भी इंडिया गठबंधन में है लेकिन कांग्रेस के साथ उसका गठबंधन न तो हरियाणा चुनाव में हो पाया और न ही दिल्ली चुनाव में. वजह यह है कि दिल्ली, पंजाब, गुजरात समेत तमाम राज्यों में कांग्रेस का मुकाबला आप से है. यानी कि दोनों के हित आपस में टकराते हैं. इन राज्यों में कांग्रेस कमजोर हुई तो आप मजबूत होती चली गई. दोनों के अस्तित्व का सवाल है इसलिए समझौता नहीं हो सकता. मंगलवार को आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की मुलाकात एनसीपी प्रमुख शरद पवार से हो रही है. कौन सी खिचड़ी पकी यह तो बात में पता चलेगा अलबत्ता सोनिया के सबसे नजदीकी लालू ने चाल चल दी है, देखना यह है कि अंजाम क्या होता है?
Read Also-
संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस के ऐसा कहने के बाद हम अपने-अपने रास्ते चुन…
Ravi Ashwin: रवि अश्विन का मानना है कि ऋषभ पंत हर मैच में शतक बना…
पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने पिछले साल 16 नवंबर को ही शिरोमणि…
ND Vs ENG T20 Series: ऐसा माना जा रहा है कि इंग्लैंड के खिलाफ टी20…
मैगी के पैकेट में जिंदा कीड़े मिलने के मांमले में हिमाचल प्रदेश की जिला उपभोग…
देश में बढ़ती ड्रग्स तस्करी और इसके राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव को लेकर सरकार ने…