नई दिल्ली: अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. भाजपा समर्थित NDA से लेकर कांग्रेस समर्थित UPA तक अपना नंबर गेम मजबूत करने की तैयारी में है. इसी कड़ी में दोनों गुटों ने अपने-अपने खेमे में महाबैठक बुलाई है. संसद के मॉनसून सत्र शुरु होने […]
नई दिल्ली: अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. भाजपा समर्थित NDA से लेकर कांग्रेस समर्थित UPA तक अपना नंबर गेम मजबूत करने की तैयारी में है. इसी कड़ी में दोनों गुटों ने अपने-अपने खेमे में महाबैठक बुलाई है. संसद के मॉनसून सत्र शुरु होने से पहले देश में सियासी पारा बढ़ रहा है जहां एक ओर विपक्ष की एकता देखने को मिल रही है तो वहीं NDA भी अपने गठबंधन को मजबूत बनाने की तैयारी में है.
विपक्ष के महाजुटान को कांग्रेस के लिए खास माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकी यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी पहली बार इस तरह की कवायद में पहली बार शामिल हो रही हैं और उसे लीड भी कर रही हैं. सोनिया गांधी के नेतृत्व से सहयोगी दलों के भीतर मनमुटाव और शंकाओं की स्थिति भी बनी हुई है. दूसरी ओर शरद पवार और ममता बनर्जी समेत कई नेता राहुल गांधी को पीएम चेहरे के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहते हैं. लेकिन सोनिया गांधी के साथ वह कदमताल कर सकते हैं जिनसे कई नेताओं के अच्छे रिश्ते रहे हैं.
बेंगलुरु में जुट रहे विपक्षी दलों की तस्वीरें दिखाती है कि अगले साल लोकसभा चुनाव की लड़ाई कितनी तगड़ी होने जा रही है. आम चुनाव में 8-9 महीने का समय ही बचा हुआ है जिसके बाद चुनावी घमासान के लिए पाला तैयार कर लिया गया है. एक ओर विपक्ष अपना कुनबा बढ़ा रहा है तो भाजपा भी NDA का विस्तार कर रही है. सबसे पहले बेंगलुरु में एकजुट होने वाले दलों की सूची पर नज़र डालते हैं.
1- कांग्रेस
2- टीएमसी
3- जेडीयू
4- आरजेडी
5- एनसीपी
6- सीपीएम
7- सीपीआई
8- समाजवादी पार्टी
9- डीएमके
10- जेएमएम
11- आम आदमी पार्टी
12- शिवसेना (उद्धव गुट)
13- नेशनल कॉन्फ्रेंस
14- पीडीपी
15- आरएलडी
16- आईयूएमएल
17- केरल कांग्रेस (एम)
18- एमडीएमके
19- वीसीके
20- आरएसपी
21- केरल कांग्रेस (जोसेफ)
22- केएमडीके
23- अपना दल कमेरावादी
24- एमएमके
25- सीपीआईएमएल
26- एआईएफबी
इसमें कोई दो राय नहीं है कि हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुई जीत ने विपक्षी दलों के हौसले को बढ़ाया है. कांग्रेस ने कर्नाटक का किला फ़तेह कर लिया है जहां 135 सीटों पर जीत हासिल कर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. इस जीत से विपक्षी दलों के महाजुटान को बढ़ावा मिला है जहां 20 मई को कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष को जोड़ने का काम किया गया.
इस साल कांग्रेस के पास साल 2004 वाला प्लान भी है जिसे वह 2024 में लागू करने वाली है. गौरतलब है कि कांग्रेस ने रायपुर के अधिवेशन में एक प्लान बनाया था, जहां भाजपा के नेतृत्व वाली NDA का सामना करने के लिए कांग्रेस पांच राज्यों में सामान विचारधारा वाले दलों को एक कर चुनावी मैदान में उतरी थी. उस समय महाराष्ट्र में एनसीपी, आंध्र प्रदेश में टीआरएस, तमिलनाडु में डीएमके, झारखंड में जेएमएम और बिहार में आरजेडी-एलजेपी जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस को इन सभी राज्यों में फायदा पहुंचा था जहां वह 188 लोकसभा सीटों में से 114 सीटें जीतने पर कामयाब हुई थी. कांग्रेस के सहयोगी दलों ने भी 56 सीटों पर भी जीत हासिल की.
इसी तरह कांग्रेस ने कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जीत हासिल कर ली है. अगर मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी वह जीत जाती है तो अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनावों में उसकी स्थिति और मजबूत होगी. हालांकि एक अहम सवाल ये भी कि क्या मोदी सरकार का तोड़ विपक्ष का गठजोड़ निकाल पाएगा. इन सभी सवालों के जवाब विपक्ष की दो दिवसीय और NDA की बैठक में छिपा हुआ है.