पैर छूने झुकी मानव बम धनु और हो गया धमाका, ये था राजीव गाँधी हत्याकांड में सभी दोषियों का रोल

नई दिल्ली. आज सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को बरी कर दिया, SC के इस फैसले के बाद लोगों को वो मनहूस दिन याद आ रहा है जिस दिन पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या हुई थी. वो तारीख थी- 21 मई, 1991 और समय था रात के 10:21. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी […]

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पैर छूने झुकी मानव बम धनु और हो गया धमाका, ये था राजीव गाँधी हत्याकांड में सभी दोषियों का रोल

Aanchal Pandey

  • November 11, 2022 4:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. आज सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को बरी कर दिया, SC के इस फैसले के बाद लोगों को वो मनहूस दिन याद आ रहा है जिस दिन पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या हुई थी. वो तारीख थी- 21 मई, 1991 और समय था रात के 10:21. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में थे और तब उनके सम्मान में एक गीत गाया जा रहा था, जिसका मतलब था- “राजीव का जीवन हमारा जीवन है क्योंकि अगर ये ज़िंदगी इंदिरा गांधी के बेटे को समर्पित नहीं, तो फिर ये ज़िंदगी किस काम की.” जो ये गीत गा रही थी उसकी उम्र तकरीबन 30 वर्ष थी, छोटा कद, सांवला रंग. चंदन का एक हार लिए हुए धनु नाम की वो लड़की राजीव गांधी की ओर बढ़ी, पैर छूने को नीचे झुकी और उसके झुकते ही एक जोरदार धमाका हो गया.

21 मई, 1991..

इस धमाके की गूंज दूर तक गई थी हर कोई सन्न रह गया, इस धमाके में राजीव गांधी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े को गए थे. लूटो कंपनी के जूते वाला पैर एक तरफ, गुच्ची घड़ी पहने हाथ का टुकड़ा दूसरी तरफ पड़ा था, दिल चीर कर रख देने वाला दृश्य था. जूते-घड़ी आदि की मदद से ही राजीव गांधी के शव की पहचान हुई, इस जोरदार धमाके में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और मानव बम धनु समेत करीब 18 लोगों की मौत हो गई थी वहीं कुछ अन्य रिपोर्ट्स में ये संख्या 20-21 भी बताई गई है.

राजीव गांधी की हत्या की साजिश के पीछे उग्रवादी गुट लिट्टे का हाथ था और मानव बम धनु इस साजिश का हिस्सा थी और इसमें लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण समेत कई लोगों का हाथ था. इस केस में सात लोगों को दोषी करार दिया गया था लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने उनमें से 6 दोषियों को रिहा कर दिया जबकि एक दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश 18 मई को ही दिया जा चुका है. 30 साल की सजा काटने के बाद सभी दोषियों ने रिहाई की गुहार लगाई थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें रिहा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राजीव गांधी हत्याकांड के सभी सातों दोषी जेल से बाहर होंगे. आइए आपको इन लोगों के बारे में बताते हैं-

मुरुगन और नलिनी

श्रीलंका के जाफना से पहुंचा मुरुगन उस समय लिट्टे ग्रुप का मेन ट्रेनर हुआ करता था, मुरुगन बम बनाने में भी माहिर था, मुरुगन की शादी नलिनी श्रीहरन से हुई थी, नलिनी भी इस साजिश में शामिल थी. मुरुगन की पत्नी नलिनी ग्रेजुएट थी और चेन्नई में ही एक प्राइवेट कंपनी में स्टेनोग्राफर के रूप में काम करती थी, इसी जगह वो एक लिट्टे सदस्य के संपर्क में आई और इसकी प्रमुख कैडर बन गई. मुरुगन और नलिनी पर बाकी लोगों का ब्रेनवाश करने का भी आरोप था. साल 1999 में दोनों को फांसी की सजा दी गई थी, बता दें जेल में ही नलिनी की एक बच्ची हुई, जो अभी ब्रिटेन में एक कंपनी में नौकरी करती है. बच्ची अनाथ न हो जाए, इस आधार पर कोर्ट ने नलिनी और मुरुगन की फांसी को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था. इस फैसले के लिए सोनिया गाँधी खुद राष्ट्रपति से जाकर मिली भी थी.

एजी पेरारिवलन

इस हत्याकांड में पेरारिवलन नाम का एक शख्स भी शामिल था, जानकार हैरानी होगी लेकिन वो बहुत मेधावी था. साल 1971 को तमिलानाडु के वेल्लोर में जन्मा पेरारिवलन इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा था, साल1991 में वह गिरफ्तार हुआ. जेल में ही उसने इग्नू से कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक किया और फिर एमसीए भी किया. दोनों ही परीक्षा में उसे 90% से ज्यादा नंबर आए. तमिलनाडु की एक और परीक्षा में पेरारिवलन गोल्ड मेडलिस्ट रहा. 18 फरवरी, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने उसकी भी फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया. और अब इसी साल 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उसकी रिहाई का आदेश भी दे दिया था.

संथन और पी रविचंद्रन

पी रविचंद्रन लिट्टे गुट का एक प्रमुख सदस्य था. वह श्रीलंका से हथियारों का प्रशिक्षण लेकर भारत आया था और यहां के विद्रोही नेताओं से कई बार मिला था. वहीं, संथन, इस कांड के लिए 12 सितंबर, 1990 को भारत आया था उसपर आरोप था कि उसी ने इस हत्याकांड में हत्यारों को मदद की थी, बताया जाता है कि संथन मानव बम धनु का बहुत अच्छा दोस्त था. इस मामले में नलिनी ने पुलिस जांच के दौरान बयान दिया था कि संथन और शिवरासन ने ऐसे किसी भी इंसान को नहीं बख्शा था, जिसने उनका साथ देने से मना किया. हालांकि शिवरासन ने इस हत्या के बाद आत्महत्या कर ली थी.

पयास और जयकुमारन

इस हत्याकांड के अन्य साथी हैं पयास और जयकुमारन, बम धमाके के बाद इन दोनों पर बाकि साथियों को रहने-खाने और हथियारों की मदद पहुंचाने की जिम्मेदारी थी. लिट्टे ने दोनों को इसलिए भारत भेजा था ताकि वे इस धमाके को अंजाम देने वाले लोगों के लिए सुरक्षित स्थान का इंतजाम करें और उन्हें किसी महफूज़ जगह छुपा दें. केस के ट्रायल के दौरान पयास को फांसी की सज़ा हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साजिश में सीधे तौर पर शामिल होने के चलते फांसी की सजा खारिज कर दी थी. पयास से ही जयकुमारन की बहन की शादी हुई थी, अब सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों की रिहाई का आदेश दे दिया है.

 

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