नई दिल्ली। नेपाल में आज 68 यात्रियों को लेकर जा रहा यति एयरलाइंस का विमान क्रैश हो गया, जिसमें 4 क्रू मेंबर भी शामिल थे। हादसे के बाद नेपाल में विमान उड़ानों के जोखिम पर फिर चर्चा शुरू हो गई है। पिछले 30 सालों में नेपाल में यह 28वां विमान क्रेश हुआ है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि नेपाल में जो विमान हादसा होता है, वहां पर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र, खराब मौसम, पुराने विमान और अनुभवहीन पायलटों की वजह से हादसा होता है।
विमान ATR 72-500 हादसे का शिकार हुआ, ये विमान ATR एयरक्राफ्ट सीरीज का हिस्सा है। इस मॉडल का पहला विमान 1981 में बनाया गया था। इस मॉडल के विमान फ्रेंच कंपनी एयरबस और इटालियन एविएशन कंपनी लियोनार्दो ने मिलकर बनाया है। इस कंपनी के विमान को कार्गो और कॉपोर्रट एयक्राफ्ट विमान भी बनाती है।
एक्सपर्ट्स बताते है कि सिविल एविएशन अथॉरिटी की 2019 की सेफ्टी रिपोर्ट के अनुसार खतरनाक भौगोलिक स्थिति भी पायलटों के सामने बड़ी चुनौती है। नेपाल में सिर्फ एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट समुद्र तल से 1338 मीटर ऊपर एक संकरी घाटी में है। इन ही कारणों से विमान को मुड़ाने में दिक्कत होती है और हादसा हो जाता है।
पहाड़ो पर मौसम तेजी से बदलता है जो विमानों के लिए काफी खतरनाक होता है। अचानक मौसम बदलने से विमान को नेविगेट करना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि इतना तेज मौसम बदलता है की सामने कुछ नहीं दिखता।
विमान हादसे की दूसरी वजह बेहतर रडार तकनीक की कमी होना है। इन ही कारणों से पायलटों को दुर्गम इलाके में मौसम में नेविगेट करना मुश्किल होता है। एक्सपर्ट्स बताते है कि नेपाल के पुराने विमानों में आधुनिक तकनीक का वेदर रडार नहीं है जिसकी वजह से पायलट को मौसम की जनकारी नहीं मिल पाती है।
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