नई दिल्ली. ब्रिटेन में लंबे समय से चली आ रही कंजरवेटिव पार्टी के चुनाव प्रक्रिया के बाद अब ये तय हो गया है कि ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, प्रधानमंत्री की रेस में लिज ट्रस ने बाजी मार ली है और इस चुनाव में ऋषि सुनक को पछाड़ कर जीत हासिल कर ली है. […]
नई दिल्ली. ब्रिटेन में लंबे समय से चली आ रही कंजरवेटिव पार्टी के चुनाव प्रक्रिया के बाद अब ये तय हो गया है कि ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, प्रधानमंत्री की रेस में लिज ट्रस ने बाजी मार ली है और इस चुनाव में ऋषि सुनक को पछाड़ कर जीत हासिल कर ली है. लिज ट्रस की जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी. वैसे आपको बता दें कि इस बार सालों से पीएम बनने की घोषणा ब्रिटेन की महारानी बकिंघम पैलेस से करती आई हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, इस बार प्रधानमंत्री की घोषणा स्कॉटलैंड से हुई है, क्योंकि महारानी एलिजाबेथ इस समय स्कॉटलैंड के बलमॉरल कैसल में हैं.
अब पीएम की रेस में लिज़ ट्रस की जीत के बाद लोग जानना चाहते हैं कि वो कौन हैं और उनका क्या बैकग्राउंड रहा है. ऐसे में हम आपको लिज़ ट्रस के बारे में बताते हैं:
47 साल की ट्रस बोरिस सरकार में विदेश मंत्री के पद पर रहीं हैं और पिछले 22 सालों से राजनीति में काफी सक्रीय हैं, पहले तो वो लिबरल डेमोक्रेट्स के साथ थी लेकिन बाद में वो कंजर्वेटिव पार्टी के साथ हो गईं. अगर उनके व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनका जन्म ऑक्सफॉर्ड में हुआ हैं और वो लंदन की निवासी हैं. ट्रस गणित प्रोफेसर और नर्स की बेटी हैं, उनकी पढ़ाई ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी से हुई है. उनकी शादी अकाउंटेंट Hugh O’Leary के साथ हुई है, बता दें ट्रस की दो बेटी हैं. जब वो चार साल की थीं, तब ही उनका परिवार ग्लास्गो के पास पैसलि में आ गया था.
उनके बारे में उनके भाई ने बीबीसी को बताया था कि ट्रस बचपन से ही हारने से नफरत करती थीं और जीतने के रिस्क की वजह से गायब हो जाती थीं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी और तब वह स्टूडेंट पॉलिटिक्स में बहुत सक्रीय थी. उन्होंने शुरुआत लिबरल डेमोक्रेट्स के साथ की थी, लेकिन बाद में कंजरवेटिव के साथ जुड़ गई. वहीं, ट्रस पहले राजशाही का विरोध करती थीं और अपनी पढ़ाई करने के बाद ट्रस ने अकाउंटेंट के तौर पर काम किया और अकाउंटेंट साथी Hugh O’Leary से शादी कर ली.
अगर लिज़ ट्रस के राजनीतिक सफर की बात की जाए तो उन्होंने 2001 में चुनाव लड़ना शुरू किया. पहली बार उन्हें हार मिली, इसके बाद 2005 में फिर से उन्हें West Yorkshire में भी हार का सामना करना पड़ा. इसलिए बाद वो 2006 में ग्रीनविच में काउंसर बनीं और 2008 से उन्होंने राइट ऑफ सेंटर रिफॉर्म थिंक टैंक के लिए काम शुरू कर दिया, फिर साल 2010 में उनकी राजनीति को खास पहचान मिली और वो 2010 में सांसद बन गई. 2010 में चुनाव जीतने के बाद 2012 में वो सरकार में शिक्षा मंत्री बनीं और 2014 में उन्हें पर्यावरण सेकेट्री बनाया गया.
इसके बाद उन्होंने ब्रेक्सिट का सामना किया, बता दें उस वक्त बोरिस जॉनसन तो ब्रेक्सिट से हीरो बने थे, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया था. हालांकि, उनका पक्ष हार गया तो उन्होंने ब्रेक्सिट को नए विचार के साथ अपनाया और उस समय उनका ये मानना था कि ब्रेक्सिट चीजों को अलग तरीके से करने का अवसर देता है. जब साल 2019 में बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री बने, तो उन्हें इंटरनेशनल ट्रेड सेकेट्री बना दिया गया, फिर 2021 में सबसे अहम पद फॉरेन सेकेट्री की जिम्मेदारी मिली.