Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो गैंगरेप केस में कब क्या हुआ… देखें पूरी टाइमलाइन

नई दिल्ली/गांधीनगर: बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों की वक्त से पहले जेल से रिहाई के फैसले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सजा अपराध को रोकने के लिए दी जाती है. पीड़ित के तकलीफ की भी चिंता की जानी चाहिए थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी […]

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Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो गैंगरेप केस में कब क्या हुआ…  देखें पूरी टाइमलाइन

Vaibhav Mishra

  • January 8, 2024 5:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्ली/गांधीनगर: बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों की वक्त से पहले जेल से रिहाई के फैसले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सजा अपराध को रोकने के लिए दी जाती है. पीड़ित के तकलीफ की भी चिंता की जानी चाहिए थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह फैसला सुनाया है.

आइए देखते हैं बिलकिस बानो मामले की पूरी टाइमलाइन…

3 मार्च 2002- बिलकिस बाने के परिवार पर हमला. 5 महीने की गर्भवती बिलकिस के साथ गैंगरेप. साढ़े तीन साल की बच्ची का कत्ल

2002, 2003- सबूत के अभाव में स्थानीय पुलिस ने केस दर्ज करने से मना किया. फिर बिलकिस ने दिसंबर 2003 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. SC ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए.

जनवरी 2004- सीबीआई ने सभी संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया.

अगस्त 2004- बिलकिस बानो ने सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को नुकसान पहुंचाने का मुद्दा उठाया. इसके बाद केस अहमदाबाद से बॉम्बे हाईकोर्ट ट्रासंफर हो गया.

जनवरी 2008- निचली अदालत ने 13 लोगों को मामले में दोषी करार दिया था. जिनमें 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई. दोषियों ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी.

मई 2017- बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई.

13 मई 2022- 15 साल से ज्यादा सजा काट चुके कैदियों ने सुप्रीम कोर्ट से रिहाई की मांग की.

15 अगस्त 2022- गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा कर दिया.

30 नवंबर 2022- बिलकिस बानो ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

8 जनवरी 2022- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के 11 दोषियों को रिहा करने के फैसले को रद्द कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को दोषियों की रिहाई का फैसला लेने का अधिकार नहीं है. इस केस की सुनवाई जब महाराष्ट्र में हुई है तो रिहाई का फैसला भी वहीं की ही सरकार करेगी. कानून के मुताबिक जिस राज्य में अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा मिलती है. उसी सरकार के पास दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार होता है.

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