नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजु द्वारा लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया गया, जिसे लेकर हंगामा बरपा हुआ है। यह विधेयक में वक्फ अधिनियम 1995 में करीब 40 संशोधन करने का प्रस्ताव रखा गया है। फिलहाल लोकसभा में पेश करने के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है। आइए जानते हैं कि वक्फ क्या होता है और इसमें संशोधन को लेकर मुस्लिम समुदाय में इतनी नाराजगी क्यों है?
वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है किसी को कुछ दान देना। कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से घर, जमीन या पैसा किसी मस्जिद, स्कूल या अस्पताल जैसे धार्मिक कार्यों के लिए दे देता है तो फिर इसे वक्फ कहा जायेगा। ऐसे में वह व्यक्ति फिर उस संपत्ति का मालिक नहीं रहता है बल्कि दान हुई संपत्ति अल्लाह का माना जाता है।
उदाहरण से समझे तो अगर रहीम ने अपनी जमीन वक्फ में दे दी तो वह उसकी नहीं रहेगी। उस जमीन से होने वाली कमाई का इस्तेमाल रहीम नहीं करेगा बल्कि किसी मस्जिद में या गरीबों की मदद के लिए उन पैसों का इस्तेमाल होगा। पहले सिर्फ मुस्लिम लोग ही वक्फ कर पाते थे लेकिन 2013 से किसी भी धर्म के लोग अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकते हैं।
आजादी के बाद 1954 में भारत में वक्फ अधिनियम के नाम से अलग कानून बनाया गया। वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देख-रेख के लिए एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड नाम दिया गया। देश के बंटवारा के समय जो लोग पाकिस्तान चले गए थे उनकी जमीन और संपत्तियों का मालिकाना हक़ 1954 के एक्ट में वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। इस वक़्त देश के अलग-अलग राज्यों में 33 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ संपत्तियों की देख-रेख कर रहे हैं। मौजूदा समय में वक्फ बोर्ड के पास इतनी जमीन है कि उसमें तीन दिल्ली हो जाएगी। दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 3.6 लाख एकड़ है और वक्फ बोर्ड के पास 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन है। रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। भारत का वक्फ बोर्ड पाकिस्तान और सउदी अरब के वक्फ से ज्यादा ताकतवर है।
भारत में हिंदुओं के मठ, ट्रस्ट, अखाड़े और अन्य सोसाइटी पर कई तरह के कानून लागू है। इस पर जिला प्रशासन का प्रशासनिक नियंत्रण रहता है लेकिन वक्फ बोर्ड में ऐसा नहीं होता है।
भारत में वक्फ के प्रबंधन के लिए 1913 से कानून लागू है। इसके बाद मुस्लिम वक्फ एक्ट 1923 बना फिर आजादी के बाद सेंट्रल वक्फ एक्ट 1954 आया। इसे बाद में बदलकर ‘वक्फ एक्ट 1995’ कर दिया गया। अभी भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन ‘वक्फ एक्ट 1995’ के अनुसार किया जाता है। 2013 में इसके कानून में बदलाव किया गया। जिसके अनुसार वक्फ संपत्ति पर कब्जा करने वाले को दो साल की जेल हो सकती है। साथ ही वक्फ संपत्ति को न ही बेचा जा सकता है, न गिफ्ट दे सकते हैं और न ही गिरवी या ट्रांसफर किया जा सकता है।
मुस्लिम नेताओं और संगठनों की माने तो सरकार इस विधेयक के द्वारा उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है। इससे वक्फ संपत्ति को खतरा है। वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता छीन ली जाएगी। देश में इससे धार्मिक तनाव बढ़ेगा। मुस्लिमों का कहना है कि क्फ की संपत्ति अल्लाह की है लेकिन सरकार कानून में बदलाव करके बोर्ड की स्वतंत्रता और स्वायत्ता कंट्रोल करना चाहती है, जो किसी हिसाब से सही नहीं है। इस कानून में बदलाव लाने के लिए उन्होंने वक्फ से जुड़े लोगों से बात करना भी जरूरी नहीं समझा।
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