नई दिल्ली : आज (18 जनवरी) चुनाव आयोग ने नई दिल्ली प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए तीन पूरोत्तर राज्यों में चुनाव की तारीखों की घोषणा की है. यह तीन राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड है जिनकी सरकारों का पांच वर्षीय कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने जा रहा है. राज्यों में सरकार का कार्यकाल समाप्त होने से […]
नई दिल्ली : आज (18 जनवरी) चुनाव आयोग ने नई दिल्ली प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए तीन पूरोत्तर राज्यों में चुनाव की तारीखों की घोषणा की है. यह तीन राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड है जिनकी सरकारों का पांच वर्षीय कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने जा रहा है. राज्यों में सरकार का कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही राज्य में चुनाव करवाए जाएंगे. ऐसे में इन राज्यों का सियासी गठजोड़ और सीटों का गणित आपके लिए जानना आवश्यक है. आइए जानते हैं किस राज्य में है कितनी सीटें और कहाँ है किसकी सरकार.
मौजूदा समय की बात करें तो मेघालय में कॉनराड संगमा के नेतृत्व में एनपीपी, बीजेपी और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों की गठबंधन सरकार है. राज्य में कांग्रेस की स्थिति पहले से ही काफी मजबूत रही है. हालांकि पिछले कुछ सालों से उसकी दुर्दशा का पूरा फायदा बीजेपी को हुआ है. इस राज्य में इस समय 60 विधानसभा सीटें हैं. सरकार बनाने वाली पार्टी को बहुमत के लिए 31 विधायकों का समर्थन जरूरी है. मेघालय विधानसभा चुनाव 2018 में राज्य के 59 सीटों पर वोट डाले गए थे. दरअसल एक सीट पर हत्या की वजह से चुनाव रोक दिए गए थे. पिछले चुनावों में किसी भी दल को बहुमत हासिल नहीं हुआ था.
बीजेपी ने महज 2 सीटों के बाद भी सत्ता का खेल पलट दिया था. भाजपा ने नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के साथ मिलकर सरकार बना ली थी लेकिन इस बार भाजपा के सामने नई चुनौती है. दरअसल भाजपा को डर है कि इस बार वह इस गठबंधन को बिखरने से बचा सकेगी या नहीं? साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी. इसके अलावा राज्य में NPP दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी. NPP के खाते में 19 सीटें आई थीं. भाजपा की बात करें तो इन चुनावों में भाजपा को केवल दो ही सीटें मिली थीं. लेकिन एनपीपी के साथ भाजपा ने गठबंधन किया जिसके बाद राज्य में गठबंधन की सरकार बनी. दूसरी ओर आखिरी चुनावी साल यानी 2018 में यूडीपी को 6 सीटें हासिल हुईं थीं.
नागालैंड में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अगुवाई वाली बीजेपी की गठबंधन सरकार चल रही है. राज्य में राजनीतिक अटकलों पर इस बार भी विराम लगाते हुए सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ऐलान किया है कि वह साल 2023 में भी मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगी. राज्य में होने जा रहे चुनावों में एनडीपीपी 40 और बीजेपी 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. ऐसे में कांग्रेस के लिए मुश्किल ज्यादा है क्योंकि एनडीपीपी और बीजेपी को एक दूसरे का साथ मिल गया है. हालांकि, बीजेपी के आगे एनडीपीपी के पलटी खाने की चिंता बनी हुई है.
2018 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने 25 साल से शासन कर रहे लेफ्ट को बेदखल किया था. बिप्लब देब राज्य के सीएम बने थे. 2022 में बीजेपी ने बिप्लब देब की जगह मानिक साहा को राज्य की कमान सौंपी थी. सत्ता में वापसी करनी की जिम्मेदारी मानिक साहा पर होगी. पिछले कुछ समय से त्रिपुरा में सियासी हलचल तेज हो गई है. 2018 में जीत दिलाने वाले बिप्लब देब को हटाकर मानिक साहा के सीएम बना दिया तो कई नेता पार्टी से अलग हो गए. बीजेपी नेता हंगाशा कुमार पिछले साल अगस्त में 6000 आदिवासी समर्थकों के साथ टिपरा मोथा में शामिल हो गए थे.
पश्चिम त्रिपुरा में सबसे अधिक 14 विधानसभा सीटें है. 2018 में इन सभी सीटों पर भारितीय जनता पार्टी और गठबंधन की आईपीएफटी ने कब्जा जमाया था. 14 सीटों में 12 पर बीजेपी को जीत मिली थी वहीं 2 सीट पर आईपीएफटी के कैंडिडेट ने जीत दर्ज की थी. सिपाहीजाला में सीपीएम का दबदबा देखने को मिला था. यहां की 9 सीटों में से 5 सीटों पर सीपीएम के कैंडिडेट ने जीत दर्ज की थी, जबकि तीन पर बीजेपी और 1 सीट पर आईपीएफटी को जीत मिली थी. गोमती की 7 में से 5 और दक्षिणी त्रिपुरा में से 3 तीन सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. धलाई में बीजेपी ने अपनी परचम लहराया था. 6 सीटों में से 5 पर बीजेपी और 1 पर गठबंधन की आईपीएफटी को जीत मिली थी.
Russia-Ukraine War: पीएम मोदी ने पुतिन को ऐसा क्या कह दिया कि गदगद हो गया अमेरिका
Raju Srivastava: अपने पीछे इतने करोड़ की संपत्ति छोड़ गए कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्त